बिलासपुर शहर में नियमों को ताक पर रखकर बिना परमिट चल रही हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों के कारण बिलासपुर के ऑटो रिक्सा चालकों का व्यवसाय ठप्प हो गया है। इससे गुस्साए बिलासपुर ऑटो रिक्शा यूनियन ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है। परिधि गृह बिलासपुर में यूनियन के कानूनी सलाहकार अधिवक्ता प्रवेश चंदेल और यूनियन के प्रधान मोहम्मद रफी ने कहा कि यदि जिला प्रशासन ने 2 दिन के भीतर बिना परमिट के चल रही इन बसों को बंद न किया तो यूनियन अपने स्त्तर पर इन बसों को रोकेगी। यदि इस दौरान किसी प्रकार की कोई अनहोनी होती है तो इसकी सारी जिम्मेवारी जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार की होगी।
अधिवक्ता ने बताया कि बिलासपुर शहर में बिना परमिट के 8 बसों को चलाया जा रहा है। इन बसों के रूट कहीं और के हैं जबकि इनको वाया अस्पताल चलाया जा रहा है। इसी प्रकार ई-टैक्सी को लक्ष्मी नारायण मंदिर से चलाने की प्रमीशन मिली है, लेकिन इसे बस अड्डा से चलाया जा रहा है। इन बसों के कारण 200 ऑटो रिक्शा संचालकों का कारोबार पूरी तरह प्रभावित होकर रह गया है। ऑटो रिक्शा यूनियन जिला प्रशासन द्वारा तय किए गए किराए के अनुरूप ही पैसा ले रही है और यदि 3 सवारियां हों तो प्रत्येक सवारी से अस्पताल के 10 रुपए लिए जा रहे हैं।
प्रवेश चंदेल ने बताया कि मौजूदा समय में पैट्रोल-डीजल के दामों के अतिरिक्त कलपुर्जों और टैक्स भी भारी मात्रा में बढ़ गए हैं। बैंकों से ऋण लेकर ऑटो चलाने वाले इन लोगों का काम प्रभावित होने के कारण ये लोग बैंक की किश्तें भी नहीं दे पा रहे हैं। एक तरफ तो सरकार स्वरोजगार की बात कर रही है। वहीं दूसरी तरफ नियमों को ताक पर रखकर बसें चालकर ऑटो रिक्शा संचालकों के कारोबार को छीनने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यूनियन इस बाबत 2 बार सदर विधायक और जिला प्रशासन को लिखकर अपना दुखड़ा सुना चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई। जिस कारण यूनियन को मजबूरी में नियमों को ताक पर रखकर चल रही इन बसों को रोकने का निर्णय लेना पड़ा।