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बिलासपुर: जमीन और पैसा उपलब्ध फिर भी 2 साल से नहीं बन पाया स्कूल भवन

सुनील ठाकुर, बिलासपुर |

एक ओर जहां प्रदेश के सरकारी स्कूलों में स्मार्ट कलास रूमों में पढ़ाई किए जाने की दावे किए जा रहे हैं वहीं एक ऐसा स्कूल भी है जहां बच्चे टीननुमा शैड में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। प्रदेश सरकार भले ही सरकारी स्कूलों में आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाने के दावे करती हो लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं है। सरकारी स्कूलों में आधारभूत ढांचे की कमी के चलते ही स्कूलों की संख्या कम होती जा रही है। विभाग की ऐसी ढीली कार्यप्रणाली के चलते राजकीय प्राथमिक पाठशाला पडगल के विद्यार्थी टीननुमा शैडों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।

इस स्कूल में बिजली तक नहीं है। गर्मियों में जहां टीन ज्यादा गर्म होती है तो सर्दियों में ठंडी जिस कारण स्कूल को गर्मी और सर्दी में अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ रही है। स्कूल का भवन न होने के कारण क्षेत्र के अभिभावक भी अपने बच्चों को इस स्कूल में पढ़ाने से गुरेज ही कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग को एवज में दी गई है धनराशी

जानकारी के अनुसार नौणी पंचायत के तहत आने वाले राजकीय प्राथमिक पाठशाला पडगल स्कूल का भवन कीरतपुर- नेरचौक फोरलेन की जद में आ गया था और संबंधित कंपनी ने स्कूल के भवन को गिरा दिया था। संबंधित कंपनी ने शिक्षा विभाग को गिराए गए स्कूल की एवज में 19 लाख 63 हजार रुपए की राशि भी जारी कर दी है।

स्कूल भवन को 10 बिस्वा जमीन हो चुकी है दान

इतना ही नहीं स्कूल भवन बनाने के लिए गांव के ही एक व्यक्ति ने 10 बिस्वा जमीन भी दान कर दी है। बावजूद इसके अभी तक स्कूल का भवन नहीं बन पाया। जिससे शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगना शुरू हो गए हैं। इस स्कूल का भवन गिराए जाने के बाद यहां पर शिक्षारत स्कूलों को शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए टीननुमा शैड बनाए गए हैं। जिसमें 2 कमरे और एक रसाईघर शामिल है।

जानकारी के अनुसार छात्र इन्हीं टीननुमा शैडों में नवंबर, 2016 से शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। इस स्कूल में मौजूदा समय में 15 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जबकि 2 अध्यापक कार्यरत हैं। बताया जा रहा है कि अभी तक विभाग इस स्कूल का भवन बनाने के लिए किसी एजैंसी का नाम ही फाईनल नहीं कर पाया।