<p>उद्यमशीलता की अद्भुत मिसाल कायम करने वाली सराह धर्मशाला की बिंदिया इस कहावत को सही रूप से चरितार्थ करती हैं कि यदि मन में कुछ करने का जज्बा और लग्न हो तो बड़ी से बड़ी बाधाओं को भी पार किया जा सकता है। बिंदिया ने जिन्दगी की तमाम बाधाओं को पार करते हुए अपने घर की आर्थिक स्थिति को बदल डाला है और एक नई सामाजिक पहचान बनाई है। एक समय ऐसा भी था जब बिंदिया सोचा करती थी कि क्या कभी वह एक सुखद जीवन का आंनद ले पाएगी। शायद वह नहीं जानती थी कि सुखद भविष्य उसकी राह देख रहा है।</p>
<p>स्नातक तक पढ़ी बिंदिया एक मध्यम वर्गीय परिवार की महिला है और उसके पति कम आमदनी से घर का पूरा खर्चा उठाया करते थे। हालांकि बिंदिया तहे दिल से अपने परिवार का बोझ कम करने के लिए कुछ काम ढूढना चाहती थी। किन्तु जागरूकता के अभाव में वह ऐसा नहीं कर पा रही थी। वह स्टीचिंग का काम किया करती थी। जिससे वह थोड़ा बहुत कमा लेती थी। लेकिन वह पुरी तरह से सतुष्ट नहीं थी। इसी बीच अखबार के माध्यम से बिंदिया को पीएनबी आसेटी धर्मशाला द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी मिली इसके बाद वे तुरन्त संस्थान पहुंची और ड्रैस डिजाईनिंग कोर्स के प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर दिया। यह 30 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम उनके लिए ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक सिद्ध हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उनके जीवन में परिवर्तन का आधार बना।</p>
<p>बिंदिया बताती हैं कि उन्होंने स्वयं का रोजगार शुरू करने के लिए 50 हजार रूपये स्वयं से निवेश किये। बिंदिया की उद्यमशीलता, कड़े परिश्रम और गुणवत्ता के प्रति प्रतिबद्धता से उन्हें अपना कारोबार बढ़ाने में सहायता मिली। उन्होंने श्यामनगर में किराए की दुकान लेकर सिलाई का काम शुरू किया और कुछ समय के अंतराल में बिंदिया ने अपनी फैशन डिजाईनिंग की दुकान में अपना व्यवसाय स्थापित कर लिया। अब वह 8 हजार रुपये हर महीने कमा रही हैं तथा अपने परिवार को खुशहाल जीवन प्रदान करने में गर्व महसूस कर रही हैं।</p>
<p>पंजाब नैशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक महेन्द्र सिंह बताते हैं कि संस्थान जरूरतमंद एवं इच्छुक लोगों को स्वरोजगार आरम्भ करने के लिए फ्री प्रशिक्षण देता है, ताकि वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ एवं आत्मनिर्भर हो सकें। वे बताते हैं कि संस्थान 18 से 45 सल तक की महिलाओं और पुरूषों को डेयरी फार्मिंग, खुम्ब उत्पादन, सब्जी नर्सरी प्रबंधन और सब्जियों की खेती, आलू एवं प्याज की खेती और प्राकृतिक संरक्षण, अचार और पापड़ बनाना, खिलौने बनाना, डुने पत्तल बनाना, कपड़े के बैग बनाना और मोबाईल रिपेयरिंग जैसे विभिन्न रोजगारपरक व्यवसायों में प्रशिक्षण प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण की समाप्ति पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं, जिसके द्वारा वे स्वरोजगार हेतु जिला कांगड़ा के किसी भी बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।</p>
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