पंडित काशी राम को “पहाड़ी गांधी बाबा” के नाम से भी जाना जाता है. पंडित कांशी राम का जन्म 11 जुलाई सन् 1882 को डाडासीबा जो हिमाचल के कांगड़ा में है, पंडित लखनू राम के घर हुआ था. कांशी राम को बचपन से ही गाने -बजाने और कविताएं लिखने का शौक था. उन्होंने अपने जीवन काल में 500 के लगभग गौण कविताएं, लोकगीत, कहानियां व खंड काव्य की रचना की. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें “पहाड़ी गांधी बाबा” का नाम दिया. यही वजह है कि आज भी उन्हें पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम के नाम से जाना जाता है.
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने महात्मा गांधी के संदेश को कविताओं व गीतों के माध्यम से पहाड़ी भाषा में प्रसारित किया. उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक भारत वर्ष आजाद नहीं हो जाता, तब तक वह काले कपड़े ही धारण करेंगे. यही वजह है कि हिमाचल में उन्हें पहाड़ी गांधी के नाम से जाना जाता है. बाबा काशी राम ने कई रचनाएँ लिखी इनमें कुणाले री कहाणी, बाबा बालकनाथ कनै फरियाद ,पहाड़ेया कन्नै चुगहालियां आदि प्रमुख हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी वर्ष 1984 में बाबा कांशी राम के नाम पर डाक टिकट जारी किया था.
काशी राम ने जब होश संभाला तो वह सन 1920 में देश की आज़ादी के आंदोलन में कूद पड़े. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हे 11 बार जेल जाना पड़ा और 9 साल तक जेल की कोठरीयों में बन्द रहे. 15 अक्टूबर सन 1943 को आजादी की हसरत दिल में लिए पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम प्रभु के चरणों में लीन हो गए. 15 अगस्त 1947 को भारत देश आज़ाद हो गया. आज़ादी के लिए उनके अभूतपूर्व योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है. यही वजह है की उनकी जयन्ती पर हिमाचल प्रदेश उन्हें हर वर्ष याद करता है.
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