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भाजपा में नूराकुश्ती जारी, कलह पहुंचा दिल्ली दरबार

नवनीत बत्ता |

हिमाचल प्रदेश में भाजपा की लड़ाई शिमला में नहीं सुलझने के बाद अब दिल्ली दरबार में पहुंच चुकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष भाजपा सतपाल सत्ती, और संगठन मंत्री पवन राणा दोनों ही इन दिनों दिल्ली आलाकमान में इस सारे मामले पर संगठन प्रभारी  मंगल पांडे के समक्ष अपनी बात रखने के लिए पहुंच चुके हैं। इन सबके बीच विध्यक रमेश धमाल ने पवन राणा के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोलते हुए कहा कि जिस मिनिस्ट्रियल फोबिया की बात पवन राणा कर रहे हैं तो शायद उन्हें पता नहीं कि मैं 10 साल तक प्रदेश में मंत्री रह चुका हूं लेकिन इतना कह सकता हूं कि पवन राणा को जरूर राजनीति का फोबिया हो चुका है और वह जल्द से जल्द राजनीति में कूदकर सत्ता सुख भोगने का रास्ता ढूंढ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि धर्मशाला में उपचुनाव होने जा रहा है संगठन मंत्री पवन राणा को चाहिए कि बांसे चुनाव का टिकट लेकर आए और हम सब भाजपा के लोग उनका सहयोग करेंगे। सूत्रों के अनुसार अब जब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हस्तक्षेप का कोई असर इन नेताओं पर पड़ता नज़र नहीं आ रहा है, तो प्रदेश प्रभारी मंगल पांडे ने इनको दिल्ली तलब किया है। वहीं, इंदु गोस्वामी अभी इन सभी विषयों पर मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और चंडीगढ़ में अपने निजी कामों में व्यस्त हैं। बता दें कि चलें कि प्रदेश सरकार में जिस तरह से सभी तरह के फैसले व लोगों के हाथों में ही रहकर सिमट कर रह चुके हैं ऐसे में सरकार के बहुत से विधायक और यहां तक मंत्री खुद को टाइमपास वाली राजनीति करते हुए कहते नज़र आ रहे हैं। ऐसे में धवाला के आरोपों को भी कहीं ना कहीं बल मिलता नज़र आ रहा है और अब देखना यह है कि कांगड़ा जिला से शुरू हुई लड़ाई थमती  है या फिर समय के साथ-साथ राजनीति का बड़ा वबाल हिमाचल प्रदेश में हो सकता है।

इन सबके बीच में शाहपुर से विधायक और मंत्री सरवीन चौधरी को लेकर भी सवाल उठने शुरू हुए हैं कि वह इन दिनों कहां है। हाल ही में गठित हुई एक कमेटी जो कि उन्हीं के महकमे से संबंधित थी उससे उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और महेंद्र सिंह को उस कमेटी का अध्यक्ष बनाकर सरकार ने कहीं ना कहीं  चौधरी के काम पर भी एक तरह से प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। लंबे समय से सरवीन चौधरी भी  सरकार से नाराज़ चल रही है और सिर्फ राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के अलावा और कोई विशेष काम वो पार्टी के लिए नहीं कर रही है। इतना ही नहीं, चंबा और हमीरपुर जिला अभी भी मंत्री के कोटे से वंचित है। इसकी चर्चा अभी भी चल रही है। ऐसे में विरोध की ये चिंगारी कब तक दबी रहेगी, यह अब भी बड़ा सवाल है।