Boodhi Diwali 2024 Sirmaur सिरमौर के गिरिपार के आदिवासी क्षेत्र में आज से बूढ़ी दिवाली का पर्व पारंपरिक तरीके से धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस विशेष पर्व की शुरुआत सुबह 4:00 बजे मशाल लेकर एकत्रित हुए लोगों के साथ हुई। इसके बाद नाटी और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जो पूरे क्षेत्र में उल्लास और आनंद का वातावरण बना रहे हैं।
नई दिवाली के एक महीने बाद मनाए जाने वाले इस पर्व की तैयारियां पहले से ही शुरू हो गई थीं। गृहिणियों ने इस पर्व पर परोसे जाने वाले पारंपरिक व्यंजन मुड़ा और शाकुली बनाने का कार्य पूरा कर लिया है। यह त्योहार सिरमौर के अलावा उत्तराखंड के जौंसार बाबर में भी मनाया जाता है।
पारंपरिक व्यंजन मुड़ा गेंहू को उबालकर सूखाने के बाद कड़ाही में भूनकर तैयार किया जाता है। इसे अखरोट की गीरी, खील, बताशे और मुरमुरे से सजाया जाता है। इस पर्व की पूर्व संध्या पर शाकाहारी व्यंजन बेडोली और असकली आदि बनाई जाती है, जिसे शुद्ध घी के साथ खाया जाता है।
यह पर्व तीन से सात दिन तक चलता है, जिसमें मशाल नृत्य, भियूरी और हारूल नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां होती हैं। कई गांवों में सांस्कृतिक संध्याएं भी आयोजित की जाती हैं, जो स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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