शिमला के मशोबरा में झोटों की लड़ाई के मामले में कुसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह बुधवार को हाईकोर्ट पेश हुए। साथ ही डीसी शिमला रोहन ठाकुर व एसपी सौम्या भी हाईकोर्ट में पेश हुईं। इस दौरान अनिरुद्ध सिंह ने कोर्ट में अफिडेविट पेश किया। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप शर्मा की बैंच ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले से ही रोक लगी हुई है, उसने बाद भी ऐसी जगह पर जनप्रतिनिधियों व अफसरों को उपस्थित नहीं होना चाहिए।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि कोर्ट में पत्र लिखकर तमिलनाडू की तर्ज पर जानवरों की लड़ाई करवाने के लिए अनुमति देने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई के दौरान इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा कि जानवरों को कोई नुकसान न पहुंचे। अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि कानून का पालन किया जाएगा जो भी आयोजन होगा वह कानून के दायरे में होगा। कोर्ट भी यहां की परंपराओं के भली-भांति वाकिफ है।
16 सितंबर को लड़वाए थे झोटे
सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बावजूद 16 सितंबर को मशोबरा में झोटों की लड़ाई हुई थी झोटों की लड़ाई के आयोजन रोकने की गुहार को लेकर सुनील मोहन जेटली द्वारा चीफ जस्टिस के नाम लिखे पत्र को जनहित याचिका मानते हुए इसकी सुनवाई हुई थी। मोहन जेटली ने पत्र में आरोप लगाया था कि बीते 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद मशोबरा में बुल फाइट्स का आयोजन किया गया, जोकि सरासर गलत है।
20 दिसंबर को मांगा था जवाब
इस मामले में हाईकोर्ट ने अनिरुद्ध सिंह को नोटिस जारी कर 20 दिसंबर तक जवाब मांगा था, जिसके चलते वे आज कोर्ट के समक्ष पेश हुए। इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान एसपी शिमला और डीसी शिमला ने अदालत में कहा था कि झोटों की लड़ाई का आयोजन मंदिर कमेटी ने किया था, लेकिन इसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं थी।
गौर हो कि शिमला और सोलन के कई इलाकों में मां काली को प्रसन्न करने के लिए दशकों से पारंपरिक झोटों की सांकेतिक लफी का आयोजन करवाते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा पशुओं के साथ क्रूरता अधिनियम के तहत इस पर रोक लगा दी है