कोरोना संक्रमण की चपेट में आए व्यक्ति भले ही स्वास्थ्य विभाग की देखरेख और सरकार के प्रोटोकॉल की अनुपालना से स्वस्थ हो रहे हैं। लेकिन कोरोना से जंग जीतने के बावजूद ऐसे व्यक्तियों को कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में जो आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनके अनुसार कुछ मरीज़ों की कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी उन्हें थकान, शरीर दर्द, खाँसी, गले में खराश तथा साँस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में कोरोना से मुक्त हुए व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर मास्क पहनना चाहिए। व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखते हुए उसे शारीरिक (सामाजिक) दूरी के नियम का पालन करना चाहिए। उचित मात्रा में पानी पीने के अलावा आयुष मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं का निरन्तर सेवन करना चाहिए। अगर स्वास्थ्य ठीक है, तो घर का नियमित काम करने के अलावा वह धीरे-धीरे प्रोफेशनल काम शुरू कर सकता है। रोज़ाना हल्की या मध्यम एक्सरसाइज़ जैसे योगासन, प्राणायाम और ध्यान लगाना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह पर सांस के व्यायाम तथा सुबह या शाम सैर की जा सकती है। खान-पान का ध्यान रखते हुए संतुलित आहार लेना चाहिए। आसानी से पचने वाला ताज़ा-नरम खाना, खाना चाहिए। कोरोना को मात देने के बाद पर्याप्त नींद और आराम तथा धूम्रपान और शराब से परहेज़ ज़रूरी है। कोरोना और पुरानी बीमारी के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी दवाओं का नियमित सेवन करना चाहिए। अपने डॉक्टर से एलोपैथिक या आयुष मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट दवाइयों के सेवन की जानकारी साझा करनी चाहिए।
डॉ रमण कुमार शर्मा, सीएमओ, ऊना कोरोना से मुक्ति के बाद मरीज़ को अपने स्वास्थ्य के तापमान, ब्लड प्रेशर तथा शूगर, ऑक्सीजन स्तर वगैरह की निरंतर मॉनीटरिंग की सलाह देते हुए कहते हैं कि अगर सूखी खांसी या गले में खराश है तो उसे गरारों के अलावा भाप लेनी चाहिए। खाँसी के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाई दवाई इस्तेमाल करनी चाहिए। तेज़ बुखार, साँस लेने में कठिनाई और ऑक्सीजन का स्तर 95 फीसदी से नीचे आने, बिना कारण सीने में दर्द तथा कमज़ोरी जैसे शुरूआती लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
उपायुक्त संदीप कुमार कहते हैं कि कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होने के सात दिनों के भीतर मरीज़ को अस्पताल में एक फॉलो-अप विजि़ट करना चाहिए। बेहतर होगा कि यह फॉलोअप विजिट उसी अस्पताल में हो, जहाँ उसका ट्रीटमेंट हुआ है। वह होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज़ों, जिनमें लगातार लक्षण बने हुए हैं, को नज़दीकी अस्पताल में जाने की सलाह देते हैं। ऐसे गंभीर मामले, जिनमें क्रिटिकल केयर सपोर्ट की ज़रूरत है, का फॉलो अप होना चाहिए।