छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर सीबाीआई की टीम ने सोमवार को एक बार फिर से ऊना में दबिश दी है। सीबीआई की टीम यहां एक तीन कमरों में चल रहे शिक्षण संस्थान का कुछ अतिरिक्त रिकॉर्ड कब्जे में लेने के बाद जांच करने पहुंची । CBI ने कई छात्रों और संस्थान से जुड़े लोगों से पूछताछ की है। संस्थान में इंजीनियरिंग की डिग्री भी करवाई जा रही थी। कुछ ऐसे भी छात्र हैं जिन्हें मालूम ही नहीं कि वे इंजीनियर तक बन चुके हैं। यह सब खेल सरकार की और से विशेष जाति वर्ग को मिलने वाली केंद्र की छात्रवृत्ति को हड़प करने के लिए हो रहा था। यहां तक कि इंजीनियर बन चुके छात्रों को उनके सिलेबस तक की जानकारी नहीं है।
हैरानी की बात तो यह है कि यह नेटवर्क हिमाचल के अलावा पंजाब तक भी चल रहा था। छात्रवृति घोटाले में सीबीआइ जिन छात्रों से पूछताछ कर गई है उन्होंने ऐसे चौंकाने वाली जानकारी उजागर की है कि जिला मुख्यालय समेत कई जिलों में इस शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। कैसे तीन कमरों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ कई कोर्स चल रहे थे। बीए के अलावा बीकॉम और कंप्यूटर एजुकेशन से जुड़े कई कोर्स भी साथ कराए गए हैं। वर्ष 2013 के बाद ही यह पूरा गोलमाल हुआ है। छात्रों को यह तक जानकारी नहीं है कि वे संस्थान के रिकार्ड में इंजीनियर तक बन चुके हैं। कई छात्रों की बीए और बीकॉम की डिग्री हो चुकी है।
छात्रों से हुआ है लेन-देन
इस बीच यह भी खुलासा हुआ है कि कई छात्रों के साथ इस डिग्री और डिप्लोमा कोर्स के लिए लेन-देन भी किया गया है। जिन छात्रों को केंद्र से छात्रवृति नहीं मिलती थी उनके साथ बिना संस्थान में आए डिप्लोमा और डिग्री कोर्स का सर्टिफिकेट देने के लिए सौदा तय होता था। इसका पूरा ताना बाना एजेंट बुनते थे। संस्थान के एजेंट सभी जगह सक्रिय होते थे। यहां तक कि वे निजी संस्थानों में नौकरी करने वाले लोगों का चुनाव करते थे और उनसे पूरा सांठगांठ करने का प्रयास किया जाता था।
करीब 40 छात्रों से हुई है पूछताछ
हाल ही में डीएसपी बलबीर शर्मा के नेतृत्व में इंस्पेक्टर वीरेंद्र कश्यप और विजय कुमार पर आधारित तीन दिनों में सीबीआइ की टीम द्वारा करीब 24 छात्रों के बयान दर्ज किए हैं। कुछ युवतियां ऐसी हैं जिनके घर तक पहुंचकर सीबीआइ ने पूछताछ की है। इस बीच कुछ युवकों से सीबीआइ ने विशेष स्थान पर बुलाकर पूछताछ की है।