देशभर के विश्वविद्यालयों और स्कूलों में 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। 21 फ़रवरी को शिवरात्रि की छुट्टी के चलते आज स्कूलों और कॉलेजों में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया। इसी कड़ी में आज "अन्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस "के अवसर पर सेंट बीट्स महाविद्यालय में मातृभाषा दिवस का आयोजन किया गया। छात्राओं ने वाक कला, वाद-विवाद, गायन, निबंध लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया। कॉलेज की प्रधानाचार्या मीनाक्षी पठानियाँ ने इस मौके पर मौजूद रहकर छात्राओं का हौसला बढ़ाया।
अन्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व के बारे में छात्राओं को बताया गया कि यह दिवस भारत के पडोसी बांग्लादेश ने अपनी मातृभाषा बांग्ला के पति समपर्ण के कारण मनाया जाता है । जिसका मकसद दुनियाभर में अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाना है। यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा मनाए जाने की घोषणा की थी। तब से लेकर हर साल 21 फरवरी को इसे मनाया जाता है।
21 फरवरी 1952 को ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की भाषायी नीति का कड़ा विरोध जताते हुए अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। पाकिस्तान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी लेकिन लगातार विरोध के बाद सरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा। भाषायी आंदोलन में शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने पहली बार 1999 में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
भारत विविध संस्कृति और भाषा का देश रहा है। साल 1961 की जनगणना के अनुसार भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में फिलहाल 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है। भारत में भी "अन्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस " कई आयोजन किए जाते हैं।