<p>केंद्र सरकार ने प्रदेश में बंदरों को वर्मिन जानवर घोषित किया है। यानी बंदर अब पिड़क जंतु घोषित है और अब अग़र वे किसी पर बेजवह हमला या नुकसान करते हैं तो उन्हें मारा जा सकता है। लिहाजा इसके लिए कुछ शर्तें भी है जैसे की जंगलों या वन्य इलाके में बंदरों को नहीं मारा जा सकता।</p>
<p>इस संबंध में हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भेजी थी जिसमें बंदरों को लेकर उत्पन हो रही समस्याओं के बारे में अवग़त करवाया गया था। इसमें मुख्य रूप से किसानों की फंसलों को हो रहे नुकसान और लोगों पर हो रहे हमले को दर्शाया गया था। रिपोर्ट के आकलन के बाद केंद्र सरकार ने वन्य जीव अधिनियम 1972 की धाराओं के तहत सख्तियों को प्रयोग करते हुए बंदरों को पिड़क जन्तु(वर्मिन) के रूप में घोषित किया है।</p>
<p>ये अधिसूचना एक साल के लिए हिमाचल प्रदेश के कई पंचायतों में लागू होंगी जिसमें जिलावार का अलग-अलग आंकड़ा है। यानी की जिले के अनुसार पंचायतें तय हुई है। चंबा में 6, कांगड़ा में 15, बिलासपुर में 6, ऊना में 5 , शिमला में 16, सिरमौर में 10 सोलन में 8, मंडी में 10, कुल्लू और हमीरपुर 6-6, किन्नौर में 5 पंचायते चयनित की गई हैं। ग़ौरतलब है कि हिमाचल में बंदरों की वजह से गांवों में खेती चौपट हुई और शहरों में लोगों का जीवनयापन मुश्किल हो गया है।</p>
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