हिमाचल सहित पंजाब और जम्मू-कश्मीर में लीची का एईएस (एक्यूट इनसेफिलाइटिस सिंड्रोम) यानी चमकी नामक बुखार से कोई कनेक्शन नहीं हैं। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने लीची का एईएस को लेकर रिपोर्ट दी है। इसमें कहा है कि तीनों राज्यों में लीची को नुकसान नहीं है। लोग लीची की बिना किसी डर खरीदारी करें। चमकी बुखार के चलते लोग लीची नहीं खरीद रहे हैं।
बिहार में चमकी बुखार के बाद लीची को लेकर उड़ी अफवाह से हिमाचल के लोग भी लीची की लेने से कतरा हैं। लोगों के इस भ्रम को दूर करने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने स्पष्टीकरण दिया है। इसमें बताया गया कि लीची का एईएस से कनेक्शन को लेकर गलत प्रचार किया गया है।
तीनों राज्यों में लीची की फसल ठीक है। अनुसंधान केंद्र ने साबित किया है लीची में महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। किसी भी प्रकार से लीची लोगों के लिए नुकसान दायक नहीं है। अनुसंधान केंद्र ने लोगों से आह्वान किया है कि वह भ्रामक प्रचार से प्रभावित न हों। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इनसेफिलाइटिस सिंड्रोम की वजह से बच्चों की मौत के कारण लीची पर विवाद पैदा हो गया है।
दुकानदारों अश्वनी, अवतार, सोमनाथ आदि ने कहा कि दिन में 10 से 12 किलोग्राम भी लीची नहीं बिक रही हैं। पहले लीची की डिमांड अधिक थी, लेकिन कुछ दिनों से इसकी डिमांड कम हो गई है। दुकानों में रखी लीची खराब हो रही है। उधर, उद्यान विभाग हमीरपुर के उपनिदेशक पवन ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने लीची को लेकर स्पष्टीकरण दिया हैं।