हिमाचल के किसान अब दालचीनी की पैदावार कर अपनी आर्थिकी को और मजबूत बना सकेंगे। सीएसआईआर के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के बाद कृषि विभाग ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। प्रदेश के पांच जिलों ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, हमीरपुर और सिरमौर में हर साल करीब 40 हजार पौधे दालचीनी के लगाए जाएंगे। बुधवार को कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने ऊना के बरनोह गांव में दालचीनी का पौधा रोपण कर इस परियोजना की शुरुआत कर दी है।
वीरेंद्र कंवर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में सीएसआइआर द्वारा दालचीनी के पौधे सप्लाई किए जाएंगे और कृषि विभाग नोडल एजेंसी के रूप में गांवों में दालचीनी के पौधे लगाने का कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि दालचीनी सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों मे से एक है जिसे प्राचीन काल से व्यंजन और औषधीय अनुप्रयोगों के लिए पहचाना जाता है। दालचीनी की फसल कम सिंचाई के साथ अच्छी उपज दे सकती है। कलस्टर बनाकर इस खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नकदी फसलों की अधिक संभावना है जिसके दृष्टिगत सरकार नकदी फसलों को बढ़ावा दे रही है।
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने की दिशा में प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इससे पहले सरकार ने प्रदेश में हींग और केसर की खेती को बढ़ावा दिया था। अब इसी कड़ी में दालचीनी की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। दालचीनी की खेती किसानों की आय बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी।
बता दें कि भारत में हर साल 45 हजार टन के करीब दालचीनी बाहरी देशों से आयत की जाती है। ऐसे में अगर हिमाचल में इसकी अच्छी पैदावार होती है, तो इससे किसानों की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी।
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