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विद्युत परियोजना में कार्यरत कर्मियों के आंदोलन के समर्थन में सड़कों पर उतरी सीटू

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सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड, रामपुर हाइड्रो पॉवर स्टेशन 412 मेगावाट के चार सौ आंदोलनरत मजदूरों के पिछले साठ दिन से चल रहे बेमियादी आंदोलन के समर्थन में सीटू ने बुधवार को उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया। सीटू ने धरने के दौरान परियोजना प्रबंधन से आंदोलनरत मजदूरों की मांगों को तुरन्त हल करने की मांग की है। सीटू ने एलान किया है कि अगर शिमला स्थित एसजेवीएनएल मुख्यालय में बैठे अधिकारियों ने इन मांगों के समाधान के लिए तुरन्त हस्तक्षेप न किया तो जल्द ही सीटू शिमला में मुख्य प्रबन्ध निदेशक कार्यालय का घेराव करेगा।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 412 मेगावाट बिजली परियोजना में सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। परियोजना में कार्यरत मज़दूरों को न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है। न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के प्रावधानों के अनुसार कार्य की प्रकृति के अनुसार मजदूरों को अलग अलग श्रेणी में रखा जाता है, ताकि उनके श्रेणी के अनुसार निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जाए। 412 मेगावाट परियोजना में सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा मज़दूरों से कुशल श्रेणी का काम करवाया जाता है परन्तु अर्धकुशल मजदूर का कम वेतन दिया जाता है।

परियोजना मज़दूरों को एम्प्लोयमेंट कार्ड व वेतन पर्ची नहीं दी जा रही है। मज़दूरों को ग्रेच्युटी सहित अन्य सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। मुख्य मांगों को लेकर 24 नवंबर 2023 को यूनियन व रामपुर हाइड्रो पॉवर स्टेशन प्रबंधन के मध्य समझौता हुआ था। मज़दूर विरोधी रामपुर हाइड्रो पॉवर स्टेशन प्रबंधन द्वारा समझौता लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगों को माना नही गया और उनके हकों की अनदेखी होती रही तो आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन होगा।