-
सीटू और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन ने मंडी में किया मोदी सरकार के बजट का विरोध।
-
मजदूरों ने हड़ताल कर सरकार की नीतियों को मजदूर विरोधी बताया।
-
रेहड़ी यूनियन ने डीसी को मांगपत्र सौंपकर स्ट्रीट वेंडर्स के अधिकारों की रक्षा की मांग की।
CITU Protest in Mandi: मंडी में सीटू और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन ने केंद्र सरकार के बजट के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इस बजट को मजदूर, किसान और आम जनता विरोधी बताया। रेहड़ी मजदूरों ने अपनी दुकानों को बंद रखकर हड़ताल में भाग लिया। इस विरोध रैली का नेतृत्व सीटू के जिला प्रधान भूपेंद्र सिंह, महासचिव राजेश शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, सुरेश सरवाल, गोपेन्द्र शर्मा और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के राज्य अध्यक्ष जगदीश ठाकुर ने किया।
सीटू ने केंद्र सरकार के बजट को मजदूर विरोधी करार देते हुए सरकार से मनरेगा योजना के बजट में 50% वृद्धि की मांग की। साथ ही, आंगनवाड़ी, मिड-डे मील और अन्य जनहितकारी योजनाओं में बजट वृद्धि न होने पर कड़ी आलोचना की। सीटू नेताओं ने सरकार की श्रम नीतियों की निंदा करते हुए कहा कि मजदूरों के कार्य घंटे बढ़ाकर 12 किए जा रहे हैं, लेकिन न्यूनतम वेतन में कोई वृद्धि नहीं की गई है। सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण और विदेशी कंपनियों को सौंपने की नीति का भी विरोध किया गया।
सीटू ने चेतावनी दी कि यदि सरकार मजदूर विरोधी नीतियों को नहीं बदलेगी तो देशव्यापी हड़ताल की जाएगी। इसके तहत मार्च के पहले सप्ताह में शिमला में राज्य स्तरीय मजदूर प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें औद्योगिक क्षेत्र, आंगनवाड़ी, मनरेगा, जलविद्युत परियोजनाओं, नगर परिषद कर्मियों सहित कई मजदूर यूनियनें भाग लेंगी।
इसके अलावा, सीटू से जुड़ी रेहड़ी यूनियन ने भी डीसी मंडी को एक मांगपत्र सौंपा। यूनियन ने स्ट्रीट वेंडर कानून 2014 के तहत रेहड़ी-फड़ी धारकों के अधिकारों की सुरक्षा की मांग की। यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि मंडी नगर निगम के अधिकारी बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के रेहड़ी वालों को बेवजह परेशान कर रहे हैं। नेरचौक और सुंदरनगर में भी यूनियन ने सर्वेक्षण, वेंडिंग क्षेत्रों की पहचान और लाइसेंस जारी करने की मांग उठाई।
यूनियन ने रेहड़ी फड़ी धारकों की समस्याओं के समाधान की मांग करते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनकी समस्याओं का हल नहीं निकला तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।