आज अखिल भारतीय मज़दूर यूनियन सीटू और दूसरे तमाम मज़दूर फेडरेशनों के आहवान में मजदूरों की मुख्य चार मांगों को लेकर पहले धर्मशाला में रैली निकाली गई। इसके बाद उपायुक्त जिला कांगड़ा के कार्यालय के प्रांगन में एक घंटे का धरना दिया गया। बाद में सहायक उपायुक्त जिला कांगड़ा एडीसी के मध्यम से प्रधानमंत्री को मांग पत्र भेजा गया।
पहली मांग ये है कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन को निरस्त करना होगा। दूसरी मांग यह है कि 44 श्रम कानूनों को खत्म करके को जो चार लेबर कोड बनाए हैं वो मजदूर विरोधी हैं। इनको भी निरस्त करना होगा। तीसरी मांग है देश की सार्वजनिक नवरतन इकाइयों का ओर सरकारी महकमों का निजीकरण तत्काल बन्द हो। चौथी मांग है कि सरकारी कर्मियों के लिए जो सरकार का तुगलकी फरमान है कि जिनकी उम्र 50 साल और 30 साल की नौकरी हो चुकी है उनको जबरन नौकरी से बाहर किया जाएगा।
अगर सरकार इस महामारी काल में जब पन्द्रह करोड़ नौजवान अपनी नौकरियां खोकर घर बैठ गए है ओर मोदी सरकार की इन के लिए कोई रोजगार कि योजना नहीं है तब ऐसे फरमान थोपना जनता के खिलाफ है ओर सीटू जिला कांगड़ा इसका विरोध करती है। अगर सरकार ने मजदूर विरोधी फैसले वापस नहीं लिए तो जनता को परिवारों सहित सड़कों पर निकलने को मजबूर होना पड़ेगा। जिसकी जिम्मेवारी केंद्र औऱ राज्य सरकार की होगी।
वहीं, शिमला में भी ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के जिला और ब्लॉक मुख्यालयों पर मजदूरों द्वारा प्रदर्शन किया। इसमें हज़ारों मजदूर शामिल हुए। मज़दूर संगठन सीटू के नेतृत्व में शिमला के डीसी ऑफिस पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इसके बाद डीसी शिमला के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।