लाल झंडा सीमेंट प्लांट वर्करज़ यूनियन बघेरी यूनिट सम्बन्धित सीटू ने मजदूरों की मांगों को लेकर अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट बघेरी में एक दिन की पूर्ण हड़ताल की। इस हड़ताल में 600 मजदूरों ने प्लांट में काम पूरी तरह ठप्प रखा। यूनियन ने चेताया है कि अगर प्रबंधन ने शीघ्र मांगें पूर्ण न की तो आंदोलन तेज होगा।
इस दौरान बघेरी में सैंकड़ों मजदूरों ने जनसभा आयोजित की जिसे सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर ठाकुर, राज्य महासचिव प्रेम गौतम, राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा, ऑल इंडिया रोड़ ट्रांसपोर्ट वर्करज़ फेडरेशन के राज्य महासचिव विजय शर्मा, यूनियन अध्यक्ष मनप्रीत, महासचिव प्रदीप, सलाहकार पंकज शर्मा, गुरिंद्र, संदीप, हरजिंद्र, प्रशांत शुक्ला, कर्म चन्द, लोकनाथ, राजेन्द्र रावत, मस्त राम, गुरविंद्र हैप्पी और राजेन्द्र ठाकुर आदि ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट प्रबंधन पर देश के संविधान और कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अल्ट्राटेक प्रबंधन ने जानबूझ कर प्लांट में लेबर कार्ड होल्डर, ईएण्डपी और सीमेंट डिवीजन के नाम से तीन कैटेगरी का निर्माण किया है ताकि मजदूरों का शोषण किया जा सके। इन तीन तरह की श्रेणियों के तहत एक ही तरह के कार्य के लिए तीन तरह के वेतन दिए जा रहे हैं जोकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26 अक्तूबर 2016 को समान कार्य के समान वेतन के निर्णय का खुला उल्लंघन है व माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है।
एलसी कार्ड होल्डर को 9 हजार, ईएण्डपी को 10 हज़ार और सीमेंट डिवीजन के मज़दूर को 32 हज़ार वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि सभी मजदूरों को वेज बोर्ड में लेकर सीमेंट डिवीजन का 32 हज़ार वेतन दिया जाए। उन्होंने कहा कि जिमज़ के मजदूरों को जीडीएक्स में डालकर उनका ठेकाकरण किया गया है जोकि कानून का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में चल रही समझौता वार्ता की कानूनी प्रक्रिया के बावजूद एलसी की हर साल मूल वेतन में होने वाली 8 प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी को बदलकर एचआरए में तब्दील कर दिया गया। इसी के साथ मेस चार्ज को 9 सौ रुपये से बढ़ाकर 1 हज़ार 4 सौ रुपये कर दिया गया। ये दोनों काम औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के कानून के तहत सेवा शर्तों में बदलाव है जोकि गैरकानूनी है।
उन्होंने कहा कि मजदूरों की ज़ायज़ मांगों को उठाने वाले 6 मजदूर नेताओं को मांग पत्र पर समझौता वार्ता के दौरान सस्पेंड करके गैरकानूनी कार्य किया गया। स्थानीय पंचायत और पुलिस द्वारा इन मजदूरों को क्लीनचिट देने के बावजूद इनमें से दो मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया गया और एक की ट्रांसफर कर दी गई। कम्पनी प्रबंधन का यह रवैया कतई सहन नहीं होगा और इसके खिलाफ मजदूर लड़ाई तेज़ करेंगे।