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‘उपचुनावों में भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ मतदान करेगी सीटू’

बीरबल शर्मा |

उपचुनावों में भाजपा की मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। एचआरटीसी पेंसनर्स के बाद अब सीटू ने भी भाजपा के खिलाफ मतदान करने का फैसला किया है। रविवार को मंडी में हुई सीटू प्रदेश कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार लगातार मज़दूर विरोधी नीतियां लागू कर रही है जिसके विरोध में आगामी लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में सीटू मजदूरों और आमजनता से भाजपा उमीदवारों के ख़िलाफ़ मतदान करने की अपील करेगी और उन्हें हराने के लिए काम भी करेंगे।

उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया है और उसके स्थान पर चार श्रम सहिंता लागू करने का निर्णय लिया है और उनमें बहुत से मज़दूर विरोधी प्रावधान रखे गए हैं। काम का समय आठ घण्टे से बढ़ाकर बारह कर दिया गया है। छंटनी की पूरी छूट कंपनियों को दे दी गई है। स्थाई रोज़गार के स्थान पर ठेके पर रोज़गार देने की नीति लागू की जा रही है जिससे मजदूरों का शोषण हो रहा है। प्रदेश सरकार अभी तक आऊटसोर्सिंग पर रखे गए मज़दूरों को के लिए एक समान वेतन और उन्हें रैगुलर करने के लिए नीति नहीं बना पाई है। कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन योजना को बहाल करने में उदासीनता वरती जा रही है।

आंगनवाड़ी, मिड डे मील और आशा वर्करज को न्यून्तम वेतन सरकार नहीं दे रही है। मनरेगा में मजदूरों को 120 दिनों का काम नहीं दिया जा रहा है और इनके साथ राज्य सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है और उन्हें तीन सौ के बजाये 202 रु दिहाड़ी दी जाती है। केंद्र सरकार की नीतियों के कारण रसोई गैस सिलेंडर के दाम एक हज़ार रुपये से ज़्यादा हो गए हैं और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें लगातार बढ़ रही है और महंगाई ने मज़दूर और आम मेहनतकशों की कमर तोड़ दी है। सरकार लगातार सार्वजनिक क्षेत्र की विक्री कम्पनियों को कोड़ियों के भाव कर रही है और अब रेलवे स्टेशन व लाइनें बेचने का काम भी शुरू कर दिया गया है। इन सब मज़दूर विरोधी गतिविधियों के कारण सीटू भाजपा को उपचुनावों में हराने के लिए काम करेगी।

बैठक में फैसला लिया गया कि 21 अक्टूबर को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाईपलाईन के विरोध में ज़िला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए जाएंगे। 26 नवंबर को दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर किसानों के समर्थन में खण्ड स्तर पर प्रदर्शन किए जाएंगे। राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड की लचर कर्यप्रणाली के ख़िलाफ़ 1 दिसंबर को निर्माण व मनरेगा मज़दूर बोर्ड के राज्य कार्यालय शिमला में विरोध रैली आयोजित करने का भी फैसला मीटिंग में लिया गया। इसके अलावा प्रवासी व असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को मिलने वाली समाजिक सुरक्षा के लिए मनदूरों को पंजीकृत करवाने का भी निर्णय लिया गया। आउट सोर्स मजदूरों व कर्मचारियों को राज्य स्तर पर संगठित करने का फैसला भी मीटिंग में लिया गया।