<p>जिला बिलासपुर में जहां पर वन विभाग ने आगजनी की घटना को रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे किए थे वहीं पर जिला बिलासपुर में लगातार आगजनी की घटनाएं हो रही है और इसमें लाखों रुपए की जहां वनसंपदा नष्ट हुई है वहीं पर असंख्य जीव जंतु मारे गए हैं हांलाकि जिला बिलासपुर का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा जहां पर आगजनी की घटना ना हुई हो।</p>
<p>बिलासपुर के स्वारघाट श्री नैना देवी घुमारवीं , झंडूता और बिलासपुर के ऊपरी इलाकों में लगातार आगजनी की घटनाएं हुई हैं और इससे काफी नुकसान हुआ हैं। गत दिवस जहां पर विधानसभा क्षेत्र झंडूता के गांव धराड़ साहनी का करमचंद आग बुझाते हुए झुलसा वहीं, बिलासपुर के शालू घाट के पास लगी जंगल की आग की चपेट में चार ट्रक आ गए और उससे भी लाखों रुपये का नुकसान हुआ।</p>
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<p>बढ़ते तापमान के साथ-साथ प्रदेश के जंगलों में आगजनी की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। इन घटनाओं में प्रदेश की करोड़ों की वनसंपदा जलकर राख हो चुकी है। वन विभाग और अग्निशमन विभाग अब बेबस नजर आ रहा है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>वन विभाग के दावे हुए खोखले साबित</strong></span></p>
<p>वन विभाग ने आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे किए हैं। विभाग इसके लिए लाखों रुपये खर्च कर मॉकड्रिल भी करवाता है, लेकिन अभी तक उसका कोई नतीजा सामने नहीं आया। बिलासपुर जिला में ही पिछले दिन आगजनी से लाखों की वनसंपदा का नुकसान हुआ तो वहीं असंख्य जीव-जंतु मारे गए।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>विभाग के पास संसाधनों की कमी</strong></span></p>
<p>विभाग ने जंगलों में लगने वाली आग पर नजर रखने के लिए सेटेलाइट का सहारा तो लिया। लेकिन क्या विभाग के पास आग पर काबू पाने के लिए पूरे संसाधन हैं। जंगलों में आग लगने पर दमकल की गाड़ियां जंगल के बीच तक नहीं पहुंच पाती जिसके चलते आग और भड़क जाती है। इस हालात से निपटने के लिए दमकल कर्मियों के पास छोटे अग्निशमन यंत्र हो ताकि उन्हे तुरंत घटना स्थल पर पहुंचाया जाए।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>21 मई को फॉरेस्ट फायर के 82 मामले हुए दर्ज</strong></span></p>
<p>21 मई को प्रदेश में फॉरेस्ट फायर के 82 मामले रिपोर्ट हुए हैं। यह इस फायर सीजन का सबसे बड़ा आंकड़ा है। मिली जानकारी के अनुसार हमीरपुर सर्किल के तहत 28 जगह जंगल आग की चपेट में हैं। इसी तरह से बिलासपुर सर्कल के तहत दाड़ला, नालागढ़, कुनिहार, बद्दी, कोहर, कुठार सहित 26 फॉरेस्ट बीट में आग लगी। जबकि पिछले दिनों स्वारघाट के समीप डडराणा और ब्रह्मपुखर के जंगलों में भयंकर आग लगी थी।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>जंगलों में आग के मुख्य कारण</strong></span></p>
<p>कई बार अपने स्वार्थ के लिए भी लोग जानबूझकर चीड़ के जंगलों में आग लगा देते हैं। लोगों को मानना है कि सूखी हुई पत्तियों को आग लगाने से जंगल साफ होंगे और नई घास उगेगी। तो कई बार कुछ शरारती तत्व भी कई बार जान बूझकर जंगलों में आग लगा देते हैं। विभाग समय-समय पर लोगों को जागरूक भी कर रहा है, लेकिन इसका कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है।</p>
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