मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ‘ग्लोबल इन्वेस्टर मीट’ की तैयारियों की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सरकार तथा विभिन्न उद्यमियों के बीच अब तक 29000 करोड़ रुपये के निवेश के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। सभी विभागों को चाहिए कि वे निवेश के इच्छुक उद्यमियों के साथ लगातार सम्पर्क बनाए रखें ताकि उन्हें प्रदेश में निवेश के प्रति प्रेरित किया जा सके। उन्होंने कहा कि उन अग्रणी औद्योगिक घरानों के साथ भी सम्पर्क में रहना चाहिए, जिन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित ‘रोड शो’ के दौरान इस प्रदेश में निवेश की इच्छा व्यक्त की है। इन उद्यमियों में देश-विदेश के निवेशक शामिल हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इन्वेस्टर मीट को सफल बनाने के लिए ‘राइजिंग हिमाचल डॉट इन वैबसाइट तथा ‘राइजिंग हिमाचल’ मोबाइल ऐप विकसित किए हैं। इन सुविधाओं का प्रदेश में विद्यमान निवेश की संभावनाओं को दर्शाने में अधिक से अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए। निवेशकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और परियोजनाओं की ऑनलाइन निगरानी करने के उद्देश्य से हिमप्रगति पोर्टल भी विकसित किया गया है। इसी प्रकार भूमि की उपलब्धता जानने के लिए ‘लैंड बैंक पोर्टल’ भी तैयार किया है, जिसमें निजी व सरकारी दोनों प्रकार की उपलब्ध भूमि का पता चल सकेगा। उन्होंने कहा कि इस समय 1600 एकड़ सरकारी भूमि और 618 एकड़ निजी भूमि उद्योग स्थापित करने के लिए उपलब्ध है। सभी विभागों को चाहिए कि प्रदेश में अनुपयोगी पड़ी भूमि एवं भवनों को चिन्हित करें ताकि निवेश के उद्देश्य के लिए इसका प्रयोग किया जा सके। प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीतियों में भी सुधार लाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक 253 एमओयू साइन किए जा चुके हैं, जिसमें प्रदेश के 60500 युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। सभी विभागों को अपने-अपने क्षेत्र में निवेश की उपलब्ध संभावनाओं का लक्ष्य निर्धारित करके कार्य करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो रियालंस, टाटा, महिन्द्रा, गोदरेज, ऑबराय तथा क्लब महिन्द्रा जैसे अग्रणी पूंजीपतियों के साथ सम्पर्क बनाए रखने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं। इन सभी घरानों ने उनके मुम्बई व अन्य क्षेत्रों के दौरे के दौरान, इस प्रदेश में निवेश करने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में आयोजित किए गए ‘रोड शो’ के दौरान हुए कार्यों में प्रगति की लगातार समीक्षा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों के प्राधिकरणों को भी प्रदेश में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वह स्वयं सम्बन्धित मंत्रालयों से ऐसी संभावनाओं को अमल में लाने के लिए बात करेंगे। बैठक में यह भी प्रस्ताव रखा गया कि शिमला तथा कुल्लू में उद्यमियों की सुविधा के लिए छोटे सम्मेलन आयोजित किए जाएं क्योंकि यहां पर्यटन, स्वास्थ्य, आईटी, शिक्षा एवं कौशल विकास, विद्युत तथा रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में निवेश की व्यापक संभावनाएं हैं। इससे इच्छुक उद्यमियों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने में सुविधा होगी।