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पशुधन से साकार होगी आत्मनिर्भर हिमाचल की संकल्पना

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हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि और पशुपालन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। पशुधन के संबंध में प्रदेश काफी समृद्ध है। प्रदेश में पशुपालन सहित मत्स्य पालन, मौन पालन और कुक्कुट पालन की अपार संभावनाएं हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की मजबूती में यह क्षेत्र उल्लेखनीय भूमिका निभाते हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन दे रही है। वर्ष 2024-25 के वार्षिक बजट में किसानों को लाभान्वित करने तथा उनकी आय में वृद्धि करने के लिए गाय तथा भैंस के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रथम अपै्रल 2024 से क्रमशः 7 रुपये व 8 रुपये प्रति किलो वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है। अब प्रदेश के किसानों को गाय के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 38 रुपये प्रति किलो के स्थान पर 45 रुपये प्रति किलो तथा भैंस के दूध का समर्थन मूल्य 47 रुपये प्रति किलो के स्थान पर 55 रुपये प्रति किलो मिलेगा।

यह एक ऐतिहासिक निर्णय है क्योंकि पहली बार हिमाचल प्रदेश में दूध की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है तथा पूरे देश में हिमाचल प्रदेश एकमात्र राज्य है, जहां ऐसा निर्णय लिया गया है जो किसानों व पशुपालकों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में कारगर सिद्ध होगा। किसानों को पशुपालन की ओर प्रेरित करने के लिए राज्य सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि इस वर्ष प्रथम अपै्रल से मिल्कफैड, कामधेनु हितकारी मंच इत्यादि दुग्ध उत्पादन समितियों से कृषि उपज विपणन समिति (ए.पी.एम.सी) द्वारा कोई भी मंडी शुल्क नहीं वसूला जाएगा। गुणवत्तापूर्ण दूूध उत्पादन, दुग्ध से विभिन्न उत्पादों को तैयार करना, इनकी खरीद, विपणन के लिए प्रदेश सरकार बुनियादी अधोसंरचना सुदृढ़ कर रही है।

दुग्ध उत्पादकों को लाभान्वित करने के दृष्टिगत ‘हिम गंगा’ योजना के तहत कांगड़ा जिला के ढगवार में 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद संयंत्र मील पत्थर साबित होगा। इस संयंत्र में आधुनिक तकनीक से दूध का पाऊडर बनाया जाएगा ताकि लम्बे समय तक दूध को खराब होने से बचाया जा सके। इसके अलावा, इस संयंत्र में दहीं, खोया, घी, आईसक्रीम, पनीर आदि दुग्ध उत्पादों को तैयार किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा इस संयंत्र की क्षमता को भविष्य की क्षमता को देखते हुए 1.5 लाख लीटर से बढ़ाकर तीन लाख लीटर प्रतिदिन करने का निर्णय भी सराहनीय है। इसके अतिरिक्त, शिमला जिला के दत्तनगर में भी 50 हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता का एक अतिरिक्त संयंत्र शुरू करने का फैसला भी सराहनीय है।

प्रदेश सरकार द्वारा हमीरपुर तथा ऊना में भी आधुनिक दुग्ध विद्यायन संयंत्र स्थापित किए जाने का निर्णय लिया गया है जिसपर लगभग 50 करोड़ रुपये व्यय होंगे। इस संयंत्र की स्थापना से क्षेत्र की ग्रामीण आर्थिकी को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि ग्रामीण युवा अपने गांव में रह कर ही दुग्ध व्यवसाय से जुड़कर अच्छी कमाई कर सकेंगे। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के बजट में स्थानीय युवाओं को किसानों अथवा एकत्रिकरण केंद्रों में दूध को दुग्ध विद्यायन संयंत्रों तक पहुंचाने के लिए 50 प्रतिशत उपदान पर 200 रेफरिजरेटिड दुग्ध वैन उपलब्ध करवाने की घोषणा की गई है जो निःसंदेह सराहनीय पहल है।

दुग्ध उत्पादकों की आय में वृद्धि के लिए यह भी जरूरी है कि उन्हें उत्तम नस्ल के पशु उपलब्ध करवाएं जाएं। इससे न केवल दूध की मात्रा में वृद्धि होंगी अपितु दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भी राज्य सरकार ने एक सकारात्मक पहल की है। सरकार ने निर्णय लिया है कि सोलन जिला के दाड़लाघाट में एक ‘कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण केंद्र’ की स्थापना की जाए। सरकार के इन निर्णयों से प्रदेश के युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होंगे तथा वे पशुपालन की ओर आकर्षित भी होंगे। इसके अलावा रोजगार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर हो रहे पलायन में भी कमी आएगी क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में ही आर्थिक गतिविधियां बढ़ेगी।