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फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में कॉब्लेशन विधि से इलाज की सुविधा उपलब्ध

<p>खर्राटे और बार-बार जुकाम होने की समस्या को हलके में न लें, ये जहां स्वास्थ्य के खराब होने का संकेत है। वहीं, इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी प्रभावित होती है। लेकिन अब खर्राटे और इससे जुडी समस्याओं का पूर्ण उपचार संभव है। कोब्लेशन तकनीक से बिना चीरा और टांके से इन समस्याओं से आसानी से निजात पाई जा सकती है। फोर्टिस कांगड़ा के ईएनटी विभाग में इस तकनीक से सफल उपचार किया जा रहा है। इस तकनीक के जरिये 13 साल के अंशुल के चेहरे की रौनक और निखर गई है। अंशुल पिछले दो सालों से खर्राटे एवं बार-बार जुकाम की समस्या से जुझ रहा था, जिसके चलते उसकी इम्यूनिटी भी खासी प्रभावित थी। जिसका सीधा असर उसके वजन पर पड़ रहा था, उम्र के लिहाज से उसका वजन काफी कम था।</p>

<p>काफी समय तक चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाने के बावजूद अंशुल का यह मर्ज ठीक नहीं हो पा रहा था। परिजन उसकी सेहत को लेकर काफी चिंतित रहते थे। आखिर में उन्होंने फोर्टिस कांगड़ा के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ स्मित वाधेर से कंसल्ट किया। डॉ स्मित ने जब अंशुल के सिटी स्कैन में पाया कि उसके नाक के पीछे टॉन्सिल जैसी गांठ बन गई है, जो कि उसकी बीमारी&nbsp; का प्रमुख कारण है। डॉ स्मित ने अंशुल की कॉब्लेशन तकनीक से नाक के पीछे वाली गांठ को सफल तरीके से निकाला। इस सर्जरी में किसी तरह का कोई चीरा या टांका नहीं लगता। सर्जरी में कॉब्लेशन तकनीक के इस्तेमाल के चलते ब्लड लॉस भी न के बराबर हुआ। ऑपरेशन के दौरान उसके सायनसिस को भी परमानेंट खोल दिया गया। अस्पताल में महज एक दिन के ठहराव के बाद अंशुल को डिस्चार्ज किया गया।</p>

<p>इस सम्बन्ध में डॉ स्मित वाधेर ने कहा कि काब्लेशन तकनीक द्वारा उपचार लेने पर मरीज अगले ही दिन किसी भी कार्य को करने के लिए बिलकुल फिट हो जाता है। इस तरह की सर्जरी में जोखिम न के बराबर है और नतीजे बहुत कारगर रहते हैं। उन्होंने कहा कि बार-बार जुकाम और खर्राटों से परेशान मरीजों के लिए कॉब्लेशन तकनीक बेहतरीन विकल्प है, जिसमें न कोई चीरा, न टांका और न ही किसी तरह की बैड रेस्ट। मरीज अगले ही दिन अपने रोजमर्रा क्रियाकलापों को अंजाम दे सकते हैं।</p>
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