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संतुलित आहार के प्रति आम लोगों को किया जाएगा जागरुक : डा. ऋचा वर्मा

समाचार फर्स्ट डेस्क |

डा. ऋचा वर्मा ने सोमवार को जिला परिषद हॉल में महिला एवं बाल विकास विभाग से संबंधित चार जिला स्तरीय समितियों की बैठकों की अध्यक्षता करके बच्चों और महिलाओं से संबंधित विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। पोषण अभियान की समीक्षा करते हुए डा. ऋचा ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों, किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं में कुपोषण की समस्या को दूर करना है। कुल्लू जिला में पांच साल तक के कुल 27486 बच्चों में से 259 बच्चे आंशिक रूप से कुपोषित पाए गए हैं, जबकि किन्हीं कारणों से 12 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। उपायुक्त ने आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को गंभीर या आंशिक रूप से कुपोषित बच्चों के सही पोषण पर विशेष रूप से फोकस करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि बदलती जीवन शैली या अन्य कारणों से हम संतुलित आहार की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। हमारे भोजन में सभी आवश्यक पोषक तत्वों का समावेश अत्यंत आवश्यक है। इन पोषक तत्वों के बगैर हम कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। कुल्लू जिला में हाल ही में किए गए सर्वे में चैंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसमें अनीमिया ग्रस्त बच्चों-महिलाओं की प्रतिशतता बहुत ज्यादा पाई गई है। डा. ऋचा ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में अनीमिया के कारणों का पता लगाने और लोगों की रक्त जांच के लिए व्यापक मुहिम चलाई जाएगी। लोगों को संतुलित आहार के प्रति जागरुक करने के लिए विशेषज्ञों की मदद से एक डाइट चार्ट तैयार किया जाएगा, जिसमें कुल्लू जिला के पारंपरिक व्यंजनों को भी शामिल किया जाएगा। उपायुक्त ने कहा कि आजकल आम लोगों विशेषकर बच्चों में सुबह का नाश्ता न करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इससे उनमें कुपोषण और अन्य बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। उपायुक्त ने आईसीडीएस, स्वास्थ्य और आयुर्वेद विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को पोषण अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के निर्देश दिए।

गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के सही पोषण के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत महिला को गर्भाधारण से लेकर शिशु के टीकाकरण तक तीन किश्तों में 5000 रुपये की राशि दी जाती है। कुल्लू जिला में अभी तक इस योजना के माध्यम से लगभग 5 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। डा. ऋचा ने कहा कि जिला में शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण होना चाहिए और आईसीडीएस अधिकारी, आंगनबाड़ी कर्मचारी और आशा वर्कर्स के पास इन महिलाओं की डिलीवरी तक का पूरा डाटा उपलब्ध होना चाहिए।

 जिला कुल्लू में 1095 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 6 साल तक की आयु के बच्चों को पूरक पोषाहार दिया जा रहा है। प्रत्येक बाल विकास परियोजना में अपने भवनों में संचालित किए जा रहे पांच-पांच आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने सभी केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए। जिले की सभी 204 पंचायतों में सशक्त महिला केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों के माध्यम से महिलाओं को संगठित करके उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के प्रति जागरुक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अनाथ या किन्हीं कारणों से माता-पिता द्वारा छोड़े गए बच्चों के पालन-पोषण के लिए प्रतिमाह 2300 रुपये की धनराशि दी जाती है। इस योजना का लाभ पात्र बच्चों तक पहुंचना चाहिए। उपायुक्त ने जिला स्तरीय समिति को इस तरह के मामलों को प्राथमिकता के आधार स्वीकृत करने के निर्देश दिए। बैठक में अन्य योजनाओं पर भी व्यापक चर्चा की गई।