कृषि बिल के खिलाफ पूरे देश मे हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद से पास हुए तीनों बिलों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। अब तीनों कृषि बिल कानून बन गये हैं। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब केंद्र सरकार कभी भी अधिसूचना जारी कर सकती है। कृषि बिलों का विरोध देश के कई हिस्सों में हो रहा है। शिमला में भी कांग्रेस ने आज इस बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और रिज पर महात्मा गांधी की प्रतिमा से राजभवन तक रैली निकाली और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि इस बिल के खिलाफ किसान पूरे देश मे सड़कों पर है। निरकुंश सरकार के इस अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने भी हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिससे किसानों का भविष्य खतरे में है। देश जब आजाद हुआ था तब देश मे अन्न बाहर से आयात किया जाता था। कांग्रेस की नीतियों के कारण 1965 में एपीएमसी एक्ट के तहत मंडिया बनाई गई। जिससे किसान आत्मनिर्भर बना और हम देश से बाहर भी अन्न के निर्यात करने लगे। लेकिन अब सरकार ने इस बिल से मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म कर दिया है। आज इस काले कानून को लेकर सरकार किसानों के हित पूंजीपतियों को बेच रही है।
उन्होंने कहा कि आज देश की सरकार अम्बानी, अडानी ओर रिलायंस चला रही है। सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है जिसका कांग्रेस विरोध करती है। इस बिल के खिलाफ 2 अक्टूबर को पूरे देश मे ब्लॉक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे और 10 को किसानों का सम्मेलन किया जाएगा। जिससे सरकार को इस काले कानून को वापिस लेने के लिए मजबूर किया जाएगा।