जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष भुवनेश अबस्थि औऱ सदस्य नितिन कुमार औऱ मंजुला ने एक शिकायत का निपटारा करते हुय शिकयत कर्ता को 8 लाख 64 हजार रुपये जारी करने के आदेश जारी किए। शिकायत कर्ता रत्न लाल सोनी के बकील चमन लाल ने बताया कि रत्न लाल ने साल 2002 में महिंद्रा एंड महिंद्रा की एजेंसी घुमारवीं से एक नया ट्रैक्टर खरीदा था। लेकिन ट्रेक्टर खरीदने के कुछ दिन बाद रत्न लाल को पता चला कि कम्पनी ने उसे पुराना ट्रेक्टर बेच दिया है।
रत्न लाल ने इस बारे में कंपनी को बताया लेकिन उन्होंने रत्न लाल की बात तक नहीं सुनी। कंपनी ने रत्न लाल को डुप्लीकेट सेल सर्टिफिकेट जारी किया था और इस के चलते ट्रेक्टर पंजीकृत भी नहीं हो पाया। रत्न लाल ने यह ट्रेक्टर 3 लाख15 हाजर रुपये में खरीदा था और कुछ राशि नकद तोर पर दी थी औऱ बैंक से फाइनेंस भी करवाया था। लेकिन कम्पनी द्वारा धोखा धड़ी करने पर रत्न लाल को परेशानी का सामना करना पड़ा। उसके बाद रत्न लाल ने 21 अप्रेल 2004 को उपभोक्ता फॉर्म में महिंद्रा एंड महिंद्रा कम्पनी के खिलाफ शिकायत दायर की।
फोरम ने 28 दिसम्बर 2005 को रत्न लाल को शिकयत को मंजूर करके कंपनी को ट्रेक्टर बदलने ब असल सेल सर्टिफिकेट देंने के आदेश दिए थे। लेकिन उसके बाद कंपनी ने राज्य आयोग शिमला में अपील कर दी। जहां से फिर सुनाई के आदेश हुए 19 जून 2007 को हुए। उसके उपरान्त जिला उपभोक्ता फोरम ने फिर से 10 अप्रेल 2008 को रत्तन लाल की शिकायत को स्वीकार करते हुए फिर से कंपनी को आदेश दिया कि शिकायत कर्ता रत्तन लाल को नया ट्रेक्टर 30 दिनों के भीतर दे और 50 हजार रुपये का मुआबजा दिया।
इसके साथ ही आदेश जारी किया कि यदि कंपनी 30 दिनों के भीतर नया ट्रेक्टिर न दे पाए तो कंपनी रत्तन लाल को 3 लाख 60हजार रुपये की राशि 9 प्रतिशत व्याज सहित देगी। उन्होंने बताया कि इस फैसले के बाबजूद भी कम्पनी ने न तो रत्तन लाल को नया ट्रेक्टर दिया और न ही पैसा लौटाया। जब कंपनी ने फोरम के फैसले की पालना नहीं की तो रत्तन लाल ने अगस्त 2008 में फैसले को लागू करने के लिए फोरम में आबेदन दायर किया। इस आबेदन पर कंपनी ने करीब 11 साल तक समन नहीं पकड़े और मामला लटकाए रखा तो फोरम ने गिरफ्तारी वारंट जारी किये जिस पर कम्पनी ने 3 लाख 60 हजार रुपये की राशि व्याज सहित कुल 8,64,064 रुपये जमा करवा दिए। फोरम ने यह राशि रत्तन लाल के आबेदन पर उसे जारी करने के आदेश दिए है।