आईजीएमसी प्रशासन ने यहां लगे बायोमेडिकल वेस्ट विभाग को बंद कर दिया है। आरोप है कि इसी सप्ताह प्रशासन ने अब बायोमेडिकल वेस्ट सीधे तौर पर ठेकेदार को देना शुरू कर दिया है, जबकि विभाग में लाखों रुपए की एक बड़ी मशीन प्लास्टिक वेस्ट को संक्रमण मुक्त करने की तथा दो छोटी सरेंडिंग मशीनें कार्य कर रही हैं।
इसके अलावा विभाग में कुछ कर्मचारी भी कार्यरत हैं, जो बायोमेडिकल वेस्ट को सरेंडिंग का काम करते हैं। आरोप है कि बावजूद इसके अब प्रशासन सीधे तौर पर ठेकेदार को बायोमेडिकल वेस्ट सौंप रहा है। इस बारे में मंगलवार को बायोमेडिकल वेस्ट विभाग के इंचार्ज ने प्रिंसिपल को ज्ञापन सौंपा है और विभाग को बंद न करने की मांग उठाई है, हालांकि प्रशासन अभी इस बारे में कुछ नहीं कर रहा है।
IGMC को प्रतिवर्ष होगा 4 से 5 लाख रुपये का नुकसान
बायोमेडिकल वेस्ट इंचार्ज कर्म सिंह और रवि कुमार ने दावा किया कि प्रशासन की ओर से जो काम ठेकेदार को दिया गया है, उसमें अब प्रशासन को 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से अधिक खर्चा देना पड़ेगा। इससे प्रतिवर्ष आईजीएमसी को 4 से 5 लाख रुपए का नुकसान होगा।
संक्रमण का भी खतरा
आईजीएमसी में बायोमेडिकल वेस्ट को दिन में दो से तीन बार डिस्पोज किया जाता है, जबकि अब ठेकेदार इसे यहां पर डिस्पोज नहीं करेगा। ठेकेदार कूड़े को बार कोडिंग सिस्टम से उठाएगा। यहां पर प्लास्टिक बैग में वार्डों से बायोमेडिकल वेस्ट भरा जाएगा। उसके बाद उसमें बार कोडिंग होगी। कोडिंग के बाद ही कूड़ा उठेगा। यहां पर कई विभाग ऐसे हैं, जहां पर कम बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। ऐसे में उनका विभागों में तीन से चार दिन में एक बैग भरेगा, मगर तब तक वह बैग वहीं पर रखा रहेगा। ऐसे में इससे वार्डों में संक्रमण का खतरा भी बना रहेगा।
वहीं, प्रिंसिपल आईजीएमसी शिमला डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि बायोमेडिकल वेस्ट विभाग के कर्मचारियों ने उन्हें ज्ञापन दिया है। प्रशासनिक अधिकारियों से इस बारे में बात की जाएगी और कोशिश की जाएगी कि विभाग को बंद न होने दिया जाए और यहां लगी मशीनों को यूज किया जाएगा।