ऐतिहासिक गुरु गोबिंद सिंह गुरुद्वारा मंडी के प्रबंधन का विवाद रविवार को एक बार फिर तनावपूर्ण हो गया। रविवार को एसपीजीसी द्वारा बुलाए गए जनरल हाउस का विरोध करने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मंडी के सदस्य भी पहुंच गए। ऐसे में भारी संख्या में पुलिस बल को भी गुरुद्वारा के बाहर तैनात करना पड़ा। हालांकि अब यह विवाद कोर्ट के फैसले पर ही निर्भर है, क्योंकि मंडी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एसपीजीसी के जनरल हाउस का फैसला मानने से इनकार कर दिया है।
रविवार को एक बार फिर सारा विवाद समाप्त करने के लिए सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर (एसजीपीसी) द्वारा मंडी के गुरुद्वारा परिसर में जनरल हाउस बुलाया गया। इसमें प्रदेश के सिख धर्म की संस्थाओं के पदाधिकारियों सहित करीब 200 से अधिक संगत पहुची। जनरल हाउस शुरू होने से पहले गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मंडी के सदस्यों द्वारा एसजीपीसी का विरोध किया गया और उसे वापस जाने को लेकर नारे भी लगाए, जिससे माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।
इसके बाद गुरुद्वारा परिसर में जनरल हाउस शुरू हुआ। इसमें संगत व सिख धर्म की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने सुझाव दिए कि गुरुद्वारा सहित स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की देखरेख में संत बाबा लाभ सिंह को ही सौंपी जाए।
संगत ने आरोप लगाया है कि संत बाबा लाभ सिंह करीब 35 वर्ष मंडी के ऐतिहासिक गुरु गोबिंद सिंह गुरुद्वारा की सेवा कर रहे हैं और बाबा जी द्वारा गुरुद्वारा का दरबार, सरायं व परिसर में स्कूल भवन का निर्माण करवाया गया, लेकिन अब स्थानीय लोगों द्वारा बाबा जी के कार्य को दरकिनार कर गुरुद्वारा में जबरन कब्जा किया गया। गुरुद्वारा प्रबंधन को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है, जिसकी सुनवाई 19 मार्च सोमवार को होगी।
क्या है पूरा विवाद
मंडी में सिक्खों के 10वें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। लंबे समय से इस गुरुद्वारे का संचालन संत बाबा लाभ सिंह जी आनंदपुर वालों के पास था। गत वर्ष मंडी की गुरू की फौज सेवक सोसायटी ने इसकी कमान अपने हाथों में ले ली। इसके बाद ही यह सारा विवाद उपजा। पहले जो कमेटी गुरुद्वारे का संचालन देख रही थी वह कोर्ट चली गई है और अभी यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है।