हमीरपुर में राजस्व विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। जिसके बाद से राजस्व विभाग की हवाइयां उड़ गई हैं। हमीरपुर में इन दिनों टेक्निकल यूनिवर्सिटी के निर्माण का काम जोरों पर चल रहा है, लेकिन इसी दौरान एक बड़ा घोटाला सामने आया है। जिसमें बताया जा रहा है की राजस्व अधिकारियों की मिली- भगत से जो सरकारी भूमि यूनिवर्सिटी के लिए अलॉट हुई है उसको लैंड एक्ट 1995 का हवाला देकर गलत तरीके से बदल दिया गया और यूनिवर्सिटी के साथ लगती भूमि का निजी इंतकाल करवा दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार होने की बात सामने आ रही है।
हैरानी इस बात की है की ये जमीन वन विभाग की है और इस भूमि पर यूनिवर्सिटी बनाने के लिए राजस्व विभाग ने पर्यावरण मंत्रालय को स्वीकृति पत्र भेजा है। वहीं, दूसरी तरफ इसको निजी हाथों को बेच दिया जाना विभाग की कार्यवाही पर सवाल खड़ा करता है।
ये है मामला
टेक्निकल यूनिवर्सिटी की जमीन की जब निशानदेही करवाई जा रही थी उस समय ये मामला सामने आया और उसके बाद इस मामले की जानकारी जिला प्रशासन को दी गई। जहां ये जमीन है उसके पास ही 1975 में 90 मरले जमीन पट्टे पर कुछ लोगों को दी गई थी, जिन्होंने इसको हमीरपुर के कुछ कारोबारियो को बेच दिया। लेकिन जब जगह की रजिस्टरी की बात आई तो राजस्व विभाग की मिली भगत से दूसरे नंबर की रजिस्टरी उनके नाम कर दी जो जमीन यूनिवर्सिटी को आवंटित हुई थी। जिन कारोबारियों ने ये जमीन खरीदी है वह बन रही यूनिवर्सिटी से 40-50 मीटर की दूरी पर है।
दोषी अधिकारियों के खिलाफ होगी सख्त कार्वाई: उपायुक्त
अब जिला प्रशासन मामले को लेकर गंभीर हो चुका है और मामले की जांच की जा रही है। वहीं, जिन 4 कारोबारियों ने ये जमीन खरीदी है उनको समन जारी कर दिए गए हैं और राजस्व विभाग से भी पूछताछ शुरु हो चुकी है। वहीं, उपायुक्त राकेश प्रजापति ने कहा कि इस मामले में राजस्व विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता पाई जाती है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, हमीरपुर सदर के विधायक नरेंद्र ठाकुर ने कहा की सरकार जीरो टॉलरेंस से काम कर रही है और दोषियों को किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जांच बैठ चुकी है और जल्द ही मामले में सलिप्त दोषी पकडे़ जाएंगे।