● शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनुयायियों ने की मांग – गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करे सरकार
● महाराष्ट्र पहले ही बना चुका है गौमाता को राज्य माता, अब राष्ट्रीय स्तर पर कानून की मांग
● गौ ध्वज परिक्रमा व पूजन के साथ हुआ आंदोलन का पुनः संकल्प
पराक्रम चंद, शिमला
ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा देशभर में शुरू की गई गौ ध्वज प्रतिष्ठा यात्रा का क्रम अब गौ ध्वज परिक्रमा और निरीक्षण यात्रा के रूप में जारी है। इसी सिलसिले में उनके राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने भारत सरकार से गौमाता को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित करने की मांग दोहराई है।
गौरतलब है कि गत वर्ष जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज ने भारत के हर प्रदेश मुख्यालय में जाकर गौ ध्वज स्थापित किए थे, जिससे जन-जागरण और गौ संरक्षण के लिए राष्ट्रव्यापी मुहिम शुरू हुई थी। इस आंदोलन के प्रभाव से ही महाराष्ट्र सरकार ने गौमाता को ‘राज्य माता’ घोषित कर विधायी निर्णय लिया था।
अब इस आंदोलन को और तेज करते हुए गौ ध्वज परिक्रमा और निरीक्षण यात्रा चलाई जा रही है। इसमें गौमाता की पूजा, गौ ध्वज की आरती, और स्थानीय गौ भक्तों की भागीदारी के साथ एकजुटता दिखाई जा रही है। शंकराचार्य जी का स्पष्ट मत है कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह गौमाता को ‘पशु’ की कानूनी श्रेणी से हटाकर ‘राष्ट्रमाता’ का दर्जा दे, और इसके लिए केन्द्रीय स्तर पर कानून बनाया जाए।
इस अवसर पर शंकराचार्य जी के शिष्यगण जैसे गो प्रतिष्ठा नन्द, महेश आहूजा, अरविन्द भरद्वाज, सुरेश मनचंदा, संजय जैन, सोमेश अग्रवाल, दीपक मेहरा, अनीता शर्मा, मीनाक्षी टंडन, पूनम, आदि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने गौ पूजा कर गौमाता को राष्ट्र के गौरव के रूप में स्थापित करने की प्रतिज्ञा ली।
यह अभियान केवल धार्मिक या भावनात्मक पहलू तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य है – गौमाता की रक्षा, गौ आधारित अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना और भारत की सांस्कृतिक जड़ों को पुनः प्रतिष्ठित करना।