माकपा की जिला कमेटी ने नगर निगम शिमला द्वारा शहरवासियों से कूड़ा उठाने की फीस की दरों में की गई अनुचित वृद्धि और व्यवस्था को तुरंत वापस लेने की मांग उठाई है। माकपा का कहना है कि जिस प्रकार से मनमाने तरीके से कूड़ा उठाने की फीस वसूली का तरीका लागू किया गया है उससे प्रतीत होता है कि नगर निगम शिमला केवल शहरवासियों से पैसा वसूलने तक ही सीमित है और उसको सेवाओं को बेहतर करने का कोई अनुभव नहीं है।
कूड़ा उठाने की फीस केवल उन्हीं घरों से मान्य हो सकती है जहां से नगर निगम केवल कूड़ा उठा रहा है। जिन घरों से नगर निगम कूड़ा नहीं उठाता है वहां से कूड़ा उठाने की फीस लेना न्यायसंगत नहीं है क्योंकि शहरवासी पहले ही सेवाओं जिनमें बेहतर पेयजल, सफाई, स्ट्रीट लाइट, सड़कों, पार्कों आदि के लिए प्रॉपर्टी टैक्स दे रहे हैं।
जब से नगर निगम में बीजेपी सत्ता में आई है शहर में सेवाओं के स्तर में निरंतर गिरावट आई है। शहर में न तो सफाई की उचित व्यवस्था बना पाई है और न ही कूड़ा समय पर उठता है। शहर में कई स्थानों पर कई कई दिनों तक कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं। कई पार्षद जिसमें सत्तादल के पार्षद भी शामिल हैं शहर की सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाते रहे हैं। वार्डों के कई क्षेत्रों से तो कई कई महीनों तक कूड़ा उठाने का कार्य बंद कर दिया जाता है।
अवव्यवस्था का आलम तो ये कर दिया गया है कि कई वार्डों जिनमे शहर के बीच बाज़ार के वार्ड भी हैं, से तो कई महीनों या वर्ष भर से लाखों रुपए कूड़ा उठाने की फीस नगर निगम एकत्र ही नहीं कर पाया है और अब इस नाकामी का खमयाजा शाहवासियों को भुगतना पड़ रहा है। पूर्व नगर निगम द्वारा स्थापित किये जा रहे आधुनिकतम कूड़ा संयंत्र जिससे बिजली पैदा होनी है उसको भी अभी तक शुरू नहीं कर पाई है। इससे नगर निगम की हर क्षेत्र में विफलता स्पष्ट होती है।
माकपा ने इसका विरोध करते हुए इन जनविरोधी निर्णयों को तुरंत वापस लेने की मांग की है। माकपा ने कहा कि यदि नगर निगम इन जनविरोधी निर्णयों को वापस नहीं लेती तो पार्टी जनता को लामबंद कर आंदोलन करेगी।