अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एसके पराशर ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जिला के सभी विकलांग जनों के यूडीआईडी कार्ड बनाने के लिए अपने-अपने स्तर पर तेजी से कार्य करें। एक महीने के भीतर सभी विकलांगों के यूडीआईडी कार्ड बन जाने चाहिए। शनिवार को जिला स्तरीय विकलांगता समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए पराशर ने कहा कि विकलांगों की सुविधा के लिए अब पूरे देश में एक ही तरह का कार्ड बनाया जा रहा है और यह यूडीआईडी कार्ड ऑनलाइन बनेगा।
एडीएम ने बताया कि केवल विकलांगता प्रमाण-पत्र, जन्म तिथि प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और पासपोर्ट साइज के साथ निकटवर्ती लोकमित्र केंद्र में यूडीआईडी कार्ड बनाया जा सकता है। आंकड़ों के मुताबिक अभी कुल्लू जिला में लगभग 4430 विकलांगों का आंकड़ा उपलब्ध है, जिनमें से 1602 विकलांगों के यूडीआईडी कार्ड बन चुके हैं। शत-प्रतिशत दिव्यांग जनों के कार्ड बनाने के लिए जिला में व्यापक अभियान चलाया जाएगा। एडीएम ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जिला के विभिन्न क्षेत्रों में जागरुकता एवं विकलांगता पहचान शिविर आयोजित करने तथा महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों पर होडिंग्स-बैनर लगाने के निर्देश दिए।
पराशर ने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम में पहले 7 प्रकार की विकलांगताएं अधिसूचित थीं, लेकिन अब 14 अन्य विकलांगताएं भी इसमें शामिल कर ली गई हैं। तेजाब हमले के शिकार, बौनापन, पार्किंसन्स और थैलेसेमिया इत्यादि के मरीजों को भी विकलांगों में शामिल किया गया है। सरकारी सेवाओं में दिव्यांगजनों का कोटा 3 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। इसलिए इन लोगों के यूडीआईडी कार्ड में बनाने में अनावश्यक विलंब नहीं होना चाहिए। एडीएम ने कहा कि सभी दिव्यांगों यूडीआईडी अभियान में कवर करने के लिए शिक्षकों, आंगनबाड़ी वर्कर्स, आशा वर्कर्स और पंचायत जनप्रतिनिधियों की मदद ली जा सकती है।
इस अवसर पर सुगम्य भारत अभियान के अंतर्गत सभी सरकारी भवनों को दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल बाधा रहित बनाने को लेकर भी चर्चा की गई। एडीएम ने कहा कि जिला मुख्यालय में जो सरकारी भवन दिव्यांगों की आवाजाही के लिए अनुकूल नहीं है, उनके लिए लोक निर्माण विभाग एस्टीमेट तैयार करे या अपना सुझाव दे, ताकि संबंधित विभाग उचित कदम उठा सके।