Cyber fraudsters using PDF: साइबर ठगों और हैकर्स द्वारा अब नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। वे अब लोगों को ठगने के लिए वेडिंग कार्ड और लॉटरी टिकट की पीडीएफ फाइल भेज रहे हैं। इन फाइलों को क्लिक करने से मोबाइल या कंप्यूटर में मैलवेयर (मैलिशियस सॉफ़्टवेयर) इंस्टॉल हो जाता है, जिससे हैकर्स डिवाइस का पूरा कंट्रोल ले लेते हैं। इस प्रकार के साइबर ठगी के मामलों में देशभर में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले चार महीनों में साइबर ठगी की साढ़े सात लाख शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि ठग और हैकर्स किसी भी माध्यम से लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, साइबर ठग अब अज्ञात नंबरों से मोबाइल फोन पर वेडिंग कार्ड की पीडीएफ भेजकर ठगी कर रहे हैं। यदि व्यक्ति इस पीडीएफ को क्लिक करता है, तो उसका मोबाइल हैक हो जाता है और हैकर्स को उस डिवाइस का पूर्ण नियंत्रण मिल जाता है। हाल ही में राजस्थान में एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमें पीडीएफ फाइल क्लिक करने पर व्यक्ति को साढ़े चार लाख रुपये की चपत लगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के मैलवेयर नॉन-गूगल प्लेटफॉर्म पर बनाए जाते हैं, और यह किसी भी ऐप को डाउनलोड करने के लिए एंड्रॉयड पैकेज किट (APK) फाइल का उपयोग करते हैं। इसलिए, नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे अज्ञात नंबर से आने वाली किसी भी पीडीएफ फाइल को क्लिक करने से बचें, ताकि वे साइबर ठगी का शिकार न हों।
नॉन गुगल प्लेटफार्म पर बनाते हैं सॉफ्टवेयर
एंड्रोयड मोबाइल में गुगल से किसी भी ऐप को डाउनलोड करने के लिए एंड्रोयड पैकेज किट (एपीके) फाइल का इस्तेमाल होता है। जबकि हैकर्स द्वारा बनाई मैलवेयर या मैलीशियस साफ्टवेयर नॉन गुगल प्लेटफार्म पर बनाया जाता है।
अब हैकर्स द्वारा वेडिंग कार्ड या लाटरी टिकट की पीडीएफ के जरिए भी ठगी को अंजाम दिया जा रहा है। हाल ही में ताजा मामला राजस्थान में सामने आया है। आम जनता से यही अपील की जाती है कि अज्ञात नंबर से किसी भी प्लेटफार्म पर आने वाली पीडीएफ फाइल को क्लिक न करें।
हितेष लखनपाल, एएसपी, जिला कांगड़ा