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मदद मांगने पर डीसी ने एक न सुनी, इस काम को खुद कर अपाहिज होकर चुकाई कीमत

बिट्टु सूर्यवंशी |

सरकारी कामों में लापरवाही को देखते हुए एक युवक को हौसला दिखाना इतना महंगा पड़ गया कि उसकी पूरी जिंदगी तबाह हो गई। यहां तक कि डीसी जैसे बड़े अधिकारी ने भी इस युवक की एक नहीं सुनी और इसकी वजह से आज ये युवक अपाहिज हो गया।

जी हां, हम बात कर रहे हैं चंबा के रहने वाले अजय की, जो कि क्रिकेट अंडर-16 नेशनल में हिमाचल को प्रैसेंट कर चुके हैं। दरअसल, अजय अपने खेल की तैयारियों में जुटे थे कि इसी दौरान उसे 11 हजार वोल्टेज लाइन से करंट लग गया, जिससे उनके सपने चूर-चूर हो गए।

वाक्या कुछ यूं हुआ कि अजय एक ग़रीब परिवार से संबंध रख़ता था और उसका परिवार रेहड़ी-फड़ी लग़ाकर गुजारा करता था। बरसात के मौसम में जहां उसके पिता रहेड़ी लगाते थे, उन्हें वहां से हटाकर सरकार ने ऐसी जगह पर रेहड़ी को स्थापित किया जहां हर वक़्त छत से बारिश का पानी ग़िरता रहता था। इस पानी के बंद करने के लिए अजय और उसके भाई ने कई दफा डीसी सुदेश कुमार मोख्टा से गुहार लगाई, लेकिन कहते हैं न कि ये सरकारी काम है और वहीं हुआ कि उनकी एक नहीं सुनी गई।

अजय का कहना था कि उसके पिता रेहड़ी पर खाना बनाते थे और उसे लोगों को खिलाकर अपने गुजारा करते थे। बारिश का पानी ग़िरने से खाना ख़राब हो जाता था, जिसके बारे में विभाग, नगरपालिका और अधिकारियों को शिकायत की गई, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। इसके बाद एक दिन अजय खुद छत से गिरने वाले पानी को ठीक करने के लिए उपर चढ़ गया। अजय नीचे उतर ही रहा था कि बारिश के मौसम में तारों ने उसे अपने चपेट में ले लिया और वे बुरी तरह से झुलस गया।

उसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां लाखों की खर्च की बात कही। इसके बाद उसने सरकार और अधिकारियों के आगे फिर हाथ फैलाये कि पानी तो नहीं ठीक हुआ लेकिन उसके इलाज के लिए कुछ मदद तो करवा दो। लेकिन, उन्होंने सिर्फ 10 हजार रुपये देकर पल्ला झाड़ लिया।

डीसी चंबा ने दी थी धमकी

अजय ने प्रशासन और तत्कालीन DC चम्बा के खिलाफ कोर्ट जाने की बात भी कही और कहा कि वे कोर्ट में जाकर इंसाफ की गुहार लगाएंगे, ताकि आने वाले समय में किसी के साथ इस तरह का वाक्या न हो। तत्कालीन डीसी चम्बा सुदेश कुमार मोगटा से जब मदद की गुहार लागई तो उन्होंने अपने कैबिन से बाहर निकालने की कोशिश की। यही नहीं जेल में बंद करने की धमकी दी।

रसूखदारों के कहने पर हटाई रेहड़ी

अजय ने बताया कि वह रेहड़ी लगाने के एवज में नगर पालिका को किराया भी दिया जा रहा था, बावजूद उन्हें हटाया गया। उनका कहना है कि जिला प्रशासन ने रसूखदारों की शह पर उनकी रेहड़ी हटवाई, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतान पड़ा है। करंट की चपेट में आने के बाद जिला प्रशासन ने बड़ी लापरवाही दिखाई और बार-बार आग्रह के बाद मात्र 10 हज़ार रुपये देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके अलावा अजय ने बताया कि करंट में झुलसने के बाद चम्बा अस्पताल ने भी उनके इलाज में लापरवाही दिखाई और कहा कि टांग काटनी पड़ेगी।

अजय ने की मांग

चंबा अस्पताल की लापरवाही को देखते हुए अजय इलाज करवाने के लिए PGI चंडीगढ़ पहुंचे, जहां  इलाज पर अब तक 5 लाख रुपये ख़र्च कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक पांच ऑपरेशन हो चुके हैं और दो बड़े ऑपरेशन होने बाकि है, जिसपर अभी 5-6 लाख रुपये का खर्च आयेगा। हम ग़रीब परिवार से संबंध रख़ते हैं और सरकार हमारी मदद करे।