जहां पूरे भारतवर्ष में दिवाली बड़े हर्षोल्लास से मनाई जाती है वही पालमपुर का एक गांव ऐसा भी है जहां सदियों से अंगारिया जाति के लोग नहीं मनाते है दिवाली, लोगों का मानना यह हमारा कोई अधंविश्वास नही है हम अपनी परंपरा को निभा रहे है ओर दीवाली मनाने से डर भी लगता है ।
वहीं, पालमपुर उपमंडल का एक ऐसा गांव भी है जहां पर आज भी अंगारिया जांित के लोग दीवाली नहीं मनाते है जबकि और जातियों के लोग भी इस गांव मे रहते है सिहोटू गांव में अंगारिया जाति के लोगों के लगभग 50 परिवार है जो दिवाली नहीं मनाते है इन लोगों का कहना है कि किसी समय में इस जाती के लोगों को कोई गंभीर बीमारी लग गई थी जिसका कोई इलाज नहीं था।
इस का समाधान नही था और इस बीमारी को दूर करने के लिए इसी जाती के किसी बर्जुग ने अपने हाथ में जलता हुआ दिया ले कर जमीन के खोदे हुए गड्डे में जिंदा समाधि ले ली थी और अपने परिवार के लोगों से कहा था कि अब इस जाती में कोई भी दीवाली नहीं मनायेगा तभी इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। तभी से इस जाती के लोगों ने यह प्रण लिया था कि वह दीवाली नहीं मनाएंगे और आज तक यह लोग न तो दीवाली मनाते हैं और न ही दीवाली के दिन या इससे पहले कोई भी साफ सफाई का काम नहीं करते है।
इस जाति से जुडे प्यार सिंह अंगारिया और चन्द्रकांत अंगारिया ने बताया कि इस जाती को बहुत समय पहले कोई भयंकर बीमारी लग गई थी जिसका कोई भी इलाज नहीं था। इस बीमारी को दूर करने के लिए हमारे किसी बुजुर्ग ने जमीन में गहरे गड्डे में जलता हुआ दिया ले कर जिंदा समाधि ले ली थी। उसी समय से यहां पर दीवाली नहीं मनाई जाती है । यह हमारा कोई अधंविश्वास नही है हम अपनी परंपरा को निभा रहे है। वहीं, अनीता अंगारिया का कहना है कि शादी के बाद यहां पर आ कर आज दिन तक दीवाली नहीं मनाई है।