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गद्दी समुदाय की छह वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मांग

मृत्युंजय पुरी |

मृत्युंजय पुरी, धर्मशाला।

धर्मशाला: हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश ने गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मांग उठाई है। गद्दी समुदाय की छह वंचित उपजातियों को राजस्व रिकॉर्ड से दरूस्त नहीं किया गया है। इसमें सिप्पी, हाली, वाड़ी, डोगरी, रिहाड़े और डागी को गद्दी शब्द नहीं जोड़ा गया है। वंचित उपजातियों के सभी रीति-रिवाज, संस्कृति, पहनावा और रहन-सहन भी एक सम्मान है।

हिमालयन गद्दी यूनियन के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से इस संबंध में 2019 को ज्ञापन सौंपा था। जिसके बाद इस विषय की जांच पड़ताल करने के निर्देश दिए थे। जिसपर राजस्व रिकॉर्ड में दरूस्त किये जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि किसी भी आरक्षण की मांग नहीं उठाई, न ही आयोग बनाने की बात कही है। लेकिन सरकार की ओर से की गई छानबीन के बाद भी क्यों नोटिफिकेशन की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस मामले में डीसी कांगड़ा ने भी जांच की, ओर उसमें पाया गया कि गद्दी शब्द उक्त उपजातियों के साथ जोड़ना सही पाया गया। तीन-तीन बार रिपोर्ट जाने के बाद, गद्दी कल्याण बोर्ड की बैठक में भी प्रस्ताव जाने के बाद भी इस पर सरकार की लापरवाही से लोगों में आक्रोश है।

अध्यक्ष ने कहा कि कांगड़ा-चंबा के 10 विधानसभा क्षेत्रों में अधिक संख्या में उपजातियों के लोग रहते हैं। ऐसे में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड की त्रुटि को ठीक किया जाना अति जरूरी है। अब लोगों में आक्रोश है कि सभी तथ्य होने पर भी गद्दी शब्द नहीं जोड़ती है और इस मसले को 15 मई से पहले-पहले सुलझाया नहीं जाता है, तो मजबूर यूनियन को सड़कों पर उतरना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सहित गद्दी से संबंधित नेताओं से भी मुलाकात की है। सभी ने मांग को पूरा किये जाने की बात रखी और त्रुटि को दरूस्त किये जाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष में बैठे नेता भी इस संबंध में गद्दी शब्द जोड़ने की बात कह रहे हैं, तो सीएम क्यों अपने ही लोगों को दरकिनार कर रहें है। सीएम को आठ बार मुलाकात की है। अब सीएम से सीधे मांग उठाई है कि जल्द इस संबंध में उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सही समय पर मांगों को नहीं माना गया तो उपजातियों को आगामी चुनावों में अपना रुख बदलना पड़ सकता है।