मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में प्रदेश में बहने वाली नदियों के जल को सोने की संज्ञा दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में जल विद्युत दोहन की अपार क्षमता है और इसके उचित प्रबन्धन से अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है.
प्रदेश सरकार बड़े पैमाने पर लोगों की समृद्धि और हिमाचल प्रदेश को आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य की जल संपदा का समुचित उपयोग करने पर विशेष बल दे रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने हिमाचल को वर्ष 2026 तक देश का पहला हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है. इसकी पूर्ति हेतु प्रदेश में पन बिजली विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसके लिए सरकार जल विद्युत क्षमता के पर्याप्त दोहन के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए जल्द ही एक खुली एवं आकर्षक नीति लेकर आएगी.
राजस्व बढ़ाने के दृष्टिगत बिजली की बिक्री और खरीद के कुशल प्रबंधन के लिए एक केंद्रीकृत सेल की स्थापना की जाएगी. जल विद्युत क्षेत्र प्रदेश की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख कारक है. राजस्व सृजन, रोजगार के अवसर और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में जल विद्युत क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है.
इसका विकास अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष और महत्वपूर्ण योगदान देता है. सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 10,000 मेगावाट अतिरिक्त पनबिजली और नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना है. जिससे प्रदेश की परिचालन क्षमता लगभग 21,000 मेगावाट हो जाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बिजली उत्पादन के अलावा इसके वितरण और बिक्री पर विशेष ध्यान दे रही है. अपनी ट्रांसमिशन लाइनों के माध्यम से हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीपीटीसीएल) के लिए अतिरिक्त राजस्व सृजन को प्राथमिकता दी जा रही है.
सरकार द्वारा निगम को अपने निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं एवं राजस्व में बढ़ोतरी के दृष्टिगत निविदा प्रक्रिया की अवधि को कम करने के लिए भी कहा गया है. ताकि राज्य के लोगों को लाभ मिल सके.
एचपीटीसीएल द्वारा 464 करोड़ रुपये से कालाअंब, बरशैनी, कांगू, पलचान, धर्मपुर और हिलिंग में अतिरिक्त उच्च वोल्टेज (ईएचवी) उप-केन्द्र, पांच ट्रांसमिशन लाइनों और एक संयुक्त नियंत्रण केंद्र का निर्माण पूरा किया जाएगा.
निगम के पास राज्य में 15 उप-केन्द्र और 964 किलोमीटर सर्किट लाइनें हैं. जिनसे वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 166.99 करोड़ रुपये की आय अर्जित की गई. वर्ष 2025 में निगम की आय 455 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है.
निगम अगले 18 महीनों के भीतर छः किलोमीटर लंबी शोंगटोंग-बास्पा ट्रांसमिशन लाइन को पूरा करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है. जोकि 450 मेगावाट की शोंगटोंग-कड़छम जलविद्युत परियोजनाओं से बिजली निकासी के लिए महत्वपूर्ण है. यह परियोजना जुलाई, 2025 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है.
एचपीपीटीसीएल सक्रिय दृष्टिकोण अपनाकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। बल्क ड्रग पार्क जैसी परियोजनाओं की मांग एवं आवश्यकता के अनुरूप पर्याप्त बिजली आपूर्ति तथा ऊना जिले के लमलेहड़ी और पेखुबेला में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली की निकासी सुनिश्चित करने के लिए ट्रांसमिशन व्यवस्था सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
इसे हासिल करने के लिए नेहरियां से ऊना तक 220/132 केवी उप-केन्द्र और 41 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण किया जाएगा. इसके अलावा, सोलन जिले के नालागढ़ में बनने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क और सिरमौर जिले के कालाअंब में औद्योगिक क्षेत्र की बिजली मांगों को पूरा करने के लिए निगम द्वारा उचित ट्रांसमिशन व्यवस्था की जाएगी.