धर्मशाला डिग्री कॉलेज में कैंटीन के टेंडर को लेकर कॉलेज प्रशासन विवादों में घिर गया है. आरोप है कि कॉलेज की प्रिंसिपल संजीवन कटोच अपने चहेतों को कैंटीन का टेंडर दिलवाने की भरपूर कोशिश कर रही हैं.
टेंडर भरने वाले हाई वीडर पुनीत धीमान का कहना है उनको फॉर्मेलिटीस पूरी ना करने का हवाला देकर दोबारा टेंडर करवाने की बात कही गई. जबकि उन्होंने हर फॉर्मेलिटीस पूरी की थी. यहां तक की वह पहले नंबर पर थे.
जानकारी के मुताबिक 10 लोगों ने टेंडर भरा था, जबकि उनमें 5 लोग टेंडर के लिए क्वालीफाई थे. उन्हीं 5 लोगों में सबसे ऊपर पुनीत धीमान का नाम था. आरोप है कि कॉलेज प्रशासन के 4 खास लोगों ने अर्नेस्ट मनी का डीडी तक नहीं लगाया था.
उसके बावजूद टेंडर कैंसिल करने की बात कही गई. जबकि 3 से कम लोगों में ही टेंडर रिजेक्ट होता है. मतलब पहले से निकाले गए टेंडर को कैंसल कर दिया गया और दोबारा से टेंडर का विज्ञापन अखबारों में देने की बात सामने आई.
इतना ही नहीं राकेश कुमार जो पहले से कैंटीन चला रहे थे उनसे भी बिना नियम कानून के आनन-फानन में कैंटीन खाली करवा दी गई. जबकि नियम ये है कि कैंटीन खाली तभी की जाती है जब दूसरे वेंडर को टेंडर मिल जाता है.
कॉलेज प्रशासन की इस हरकत से अब आलम ये है कि पिछले करीब 10 दिन से कैंटीन बंद पड़ी है जिसकी वजह से छात्र परेशान हैं. आपको बता दें कि ये कैंटीन स्टूडेंड वेलफेयर के लिए होती है, ना की कॉलेज की कमाई का साधन. आरोप ये भी है कि किसी बड़े नेता का भी कॉलेज प्रशासन पर दबाव है. जिसके चलते प्रिंसिपल उस नेता से सांठगांठ कर अपना काम करवाना चाहती हैं.
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