फोरलेन की जद में आ रहे कांगड़ा उपमंडल के ललेहड़ गांव के लोगों ने सरकार से उन्हें न उजाड़ने की गुहार लगाई है। वीरवार को डीसी कार्यालय धर्मशाला पहुंचे ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें नोटिस जारी करके 60 दिन में मकान खाली करने को कहा गया है, इतने कम समय में वे कहां बसेंगे और कहां अपना आशियाना बनाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि हमें पहले भी पौंग डैम के चलते विस्थापित होना पड़ा था, वहां से आकर यहां बसे तो अब पुन: हमें विस्थापित किया जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि उनकी मांगें न मानी गई तो वे चक्का जाम करने और भूख हड़ताल करने से भी गुरेज नहीं करेंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले जो फोरलेन का सर्वे हुआ था, वो ठीक था, लेकिन कुछ प्रभावशाली लोगों के कहने पर फिर से सर्वे किया गया, जिसमें उनके मकान भी फोरलेन की जद में आ रहे हैं। विभिन्न माध्यमों से सरकार और प्रशासन को कई बार अपनी समस्याएं बता चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई है।
गौरतलब है कि ललेहड़ गांव के करीब 15 परिवार ऐसे हैं, जिनके मकान और भूमि फोरलेन की जद में आ रहे हैं, जबकि उन्हें मकान खाली करने के लिए जो समय दिया जा रहा है, उतने समय में उनके लिए अन्यत्र बसना संभव नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें फिर से न उजाड़ा जाए। ग्रामीणों ने सुझाव दिया कि जो भूमि फोरलेन के लिए वर्तमान में चिन्हित की गई है, उसके साथ लगती भूमि पर यदि फोरलेन बनता है तो सरकार का खर्च भी कम होगा और वे भी विस्थापित होने से बच जाएंगे।
ललेहड़ गांव की निवासी सुमन ने कहा कि हमारे घर फोरलेन की जद में आ रहे हैं। पहले से हम पौंग बांध विस्थापित हैं। ऐसे में फोरलेन के कारण उन्हें फिर से उजाड़ा जा रहा है। सरकार से मांग है कि हमें न उजाड़ा जाए, यदि हमें फिर से उजाड़ा गया तो ग्रामीण चक्का जाम करने और भूख हड़ताल करने से पीछे नहीं हटेंगे। वहीं, ललेहड़ गांव निवासी सतीश कुमार का कहना है कि हमारे गांव के 15 परिवार फोरलेन की जद में आ रहे हैं। सरकार से पहले भी मांग की गई थी कि हमें न उजाड़ा जाए, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसलिए आज हम फिर से जिला प्रशासन से गुहार लगाने आए हैं, क्योंकि अब हमें नोटिस जारी करके 60 दिन में मकान खाली करने को कहा जा रहा है।