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धर्मशाला जेल बनी प्रदेश की पहली नशामुक्त जेल

<p>धर्मशाला: नशे को जड़ से खत्म करने के लिए प्रदेश भर में चलाए गए अभियान का असर अब जिला कारागार धर्मशाला में भी देखने को मिलेगा क्योंकि वर्तमान में जिला कारागार धर्मशाला प्रदेश की पहली नो स्मोक जोन जेल बन गई है। धर्मशाला जेल के अंदर केवल बंद कैदी ही नहीं बल्कि जेल कर्मचारी भी किसी नशीली चीजों का इस्तेमाल नहीं कर सकते। यदि जेल के अंदर कैदियों सहित जेल कर्मचारी नशीली वस्तुओं का सेवन करता पाया जाता है तो उनके खिलाफ भी जेल प्रशासन की ओर से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।</p>

<p>धर्मशाला जेल में कुल 323 कैदी हैं और इनमें सबसे ज्यादा 315 पुरूष कैदी हैं जिनमें नशा करने वालों की तादात कुछ ज्यादा है जबकि इस दौरान करीब 8 महिला कैदी ही धर्मशाला जेल में हैं।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>महिला डाक्टरों का भी रहा सहयोग</strong></span><br />
जिला कारागार धर्मशाला को नशा मुक्त बनाने में जहां जेल प्रशासन सक्रिय था वहीं इस मुहिम को पूरा करने में यहां पर तैनात मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. अनिता ठाकुर व डा. मंजू रैणा का भी सहयोग रहा है। इनका कहना है कि जेल में जहां युवा सबसे अधिक हैं और नशा को लेकर इन लोगों को प्यार से समझाने के बाद ही यह सब हो सका है। उनका कहना है कि नशे की लत को छुड़वाने के लिए पहले तो बड़ी दिक्कतें पेश आईं लेकिन धीरे-धीरे इस पर काबू पाया जा सका है।</p>

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<span style=”color:#c0392b”><strong>क्या कहते हैं जेल उप-अधीक्षक</strong></span><br />
जिला कारागार धर्मशाला के उप-अधीक्षक विनोद चम्बियाल ने युवा कैदियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि परिजनों को नशे के खिलाफ स्वयं अपने बच्चों को जागरूक करने की जरूरत है। अगर परिजन अपने बच्चों को नशे जैसी भयंकर चीजों से दूर करने में अपनी भूमिका निभाते हैं तो जेल में युवा कैदियों की संख्या भी कम होगी और नशे को भी जड़ से खत्म किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में स्थिति यह बन चुकी है कि युवाओं को किस प्रकार नशे से दूर और सामाजिक कार्य में आगे लाया जाए।</p>

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<span style=”color:#c0392b”><strong>योग भी बना नशा मुक्ति का कारण</strong></span><br />
यहां पर तैनात दो महिला डाक्टरों डा. अनिता ठाकुर व डा. मंजू रैणा का कहना है कि नशा की लत को छुड़वाने के लिए योग का भी सहारा लिया गया और हर दिन कैदियों को करीब 1 घंटे तक योग करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में योग को कैदियों से करवाना उनके लिए काफी चुनौती पूर्ण रहा लेकिन अब हर रोज कैदी तय समय में योग के लिए खुद पहुंच जाते हैं।</p>

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