धर्मशाला में पर्यटन और पौराणिक महत्व की डल झील के विकास एवं सौंदर्यीकरण पर करोड़ों खर्च होते रहे लेकिन स्थिति नहीं सुधरी। हर साल हो रहे रिसाव के चलते झील का क्षेत्र काफी कम हो गया है। इससे झील का अस्तिव खतरे में आ गया है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2007-2008 में चार करोड़ रुपए से एडीबी प्रोजेक्ट के तहत झील के सौदयकरण की योजना शुरू की थी। यह योजना वर्षों बाद भी अधर में लटकी हुई है। पर्यटन विभाग ने इस योजना के तहत 1.25 करोड़ रुपए की राशि जारी भी कर दी थी। लेकिन सौंदर्यीकरण का काम शुरू नहीं किया जा सका है। जलशक्ति विभाग पिछले दो वर्षों से इसका प्रारूप तैयार कर रहा है।
मान्यता है कि जो लोग मणिमहेश नहीं जा सकते वे डल झील में स्नान कर अपनी मन्नत को पूरी करते हैं। एक साल पहले लोकसभा सांसद किशन कपूर ने धर्मशाला के नड्डी स्थित डल झील का निरीक्षण करने के बाद अधिकारियों को इसके रख-रखाव के लिए निर्देश दिए थे। वर्ष 2007-08 में झील के जीर्णोद्धार को लेकर हाथ बढ़े थे। सबसे पहले लोक निर्माण विभाग को झील की लीकेज रोकने का काम सौंपा गया था। फिर डल झील के सौंदर्यीकरण के कार्य का जिम्मा ग्रामीण विकास विभाग को सौंपा गया। विभाग ने काम भी शुरू किया लेकिन पूरी गाद नहीं निकाल पाया।
अब सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी के तहत जलशक्ति विभाग को सौंपी गई। विभाग प्रारूप तैयार करेगा। इसके लिए स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
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