केन्द्र सरकार ने हिमाचल को दो स्मार्ट सिटी दी है। 5 हज़ार करोड़ के दोनों प्रोजेक्ट धर्मशाला और शिमला में अभी तक स्मार्ट सिटी के लिहाज़ से कोई गुणवत्ता वाला काम नज़र नहीं आया है। धर्मशाला के काम पर तो निगम मेयर ही सवाल उठा रहे है। ख़बर तो ये भी है कि जिस डिफॉल्टर कंपनी ने धर्मशाला में काम किया उसी कंपनी को शिमला स्मार्ट सिटी का काम देने की तैयारी है। खैर आज स्मार्ट सिटी और अमृत को देश भर में ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए केंद्रीय हाउसिंग एवं अर्बन अफेयर्स मंत्री ने लॉन्च वर्षगांठ पर फीडबैक दिया गया। शिमला में शहरी विकास के प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना की मौजूदगी में इसे लॉन्च किया गया।
स्मार्ट सिटी की बात की जाए तो विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक धर्मशाला स्मार्ट सिटी के लिए प्रपोजल 2109.69 करोड़ का है जिसमें 74 प्रोजेक्ट्स पर काम होना है। इसमें से 1956.07 करोड़ रुपया 775 क्षेत्र के विकास पर ख़र्च किया जाएगा। अभी तक केन्द्र ने इसके लिए 196 करोड़ जारी कर दिया है जबकि प्रदेश सरकार 26.89 करोड़ दे चुकी है। इसमें 50 पद भी सृजित किए गए है।
दूसरी ओर शिमला स्मार्ट सिटी के लिए 2905.97 करोड़ रुपए प्रस्तावित है। जिसमें से 292 एकर्स भूमि के विकास के लिए 2531.59 करोड़ रखा गया है। कुल 8733 एकर्स क्षेत्र का विकास किया जाएगा। द्वारा से विकास पर 1247.91 करोड़ ख़र्च होगा। इस प्रोजेक्ट के लिए केन्द्र 58 करोड़ जारी कर चुकी है जबकि प्रदेश सरकार ने 42 करोड़ जारी किए है। धर्मशाला की ही तर्ज़ पर शिमला में भी 50 पद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए सृजित किए गए है।
अमृत योजना कुल्लू और शिमला में चल रही है। प्रबोध सक्सेना ने कहा कि शिमला में पानी की समस्या इस बार नही हुई है जिसका मुख्य कारण अमृत से आया पैसा है। कुल्लू में भी पिछले 6 माह में काफ़ी काम हुआ है। अमृत का काम मार्च 2020 तक पूरा कर लिया गया है। हिमाचल में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 7914 मकान बनने है जिनमें से 1114 मकान बना लिए गए है। स्मार्ट सिटी को लेकर प्रबोध सक्सेना ने माना कि जल्द फैसले ने लिए जाने के कारण प्रोजेक्ट में काम प्रगति नही पकड़ पा रहा है। शिमला में एनजीटी के आदेश इसमें सबसे बड़ा रोड़ा है। 19 प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है। धर्मशाला स्मार्ट सिटी में हुए काम पर उन्होंने बताया कि मेयर का लेटर जो मिला है उसपर भी कार्यवाही की जाएगी।