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धार्मिक कार्यक्रम में सियासी तेवर दिखाते नजर आए नेता रमेश धवाला
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नाराज़ बीजेपी नेताओं की मौजूदगी ने आयोजन को बना दिया शक्ति प्रदर्शन
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धवाला बोले- 45 साल से रख रहा हूं सोमवार का व्रत, बुखार तक नहीं आया
Religious Event Turns Political: हिमाचल प्रदेश की राजनीति में नेता रमेश धवाला फिर चर्चा में हैं। इस बार उनके घर आयोजित धार्मिक कार्यक्रम ‘उधापण महाप्रसादी शिव व्रत मोख’ ने न केवल श्रद्धा का माहौल बनाया बल्कि सियासी गलियारों में हलचल भी तेज कर दी।
धवाला ने इस धार्मिक आयोजन को राजनीतिक मंच कहा जा रहा है। हुआ यूं कि हवन कुंड में आहुतियां डालते हुए जब धवाला ‘स्वाहा-स्वाहा’ का उच्चारण कर रहे थे, तब उनके इर्द-गिर्द जुटे नेताओं और वहां हो रही फुसफुसाहटों ने साफ कर दिया कि यह आयोजन एक बड़ा सियासी संकेत बन चुका है।
हालांकि कार्यक्रम निजी था, लेकिन इसमें बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं की मौजूदगी ने इसे पूरी तरह से राजनीतिक बना दिया। बैजनाथ के पूर्व विधायक दुलो राम, पालमपुर से प्रवीण शर्मा, कांगड़ा से संजय चौधरी, हमीरपुर से नरेंद्र ठाकुर और जिला परिषद कांगड़ा के चेयरमैन रमेश बराड़ जैसे दिग्गज नेताओं की शिरकत ने संदेश दिया कि धवाला अब खुलकर शक्ति प्रदर्शन की राह पर हैं।
धवाला ने कहा कि वे 45 साल से सोमवार का व्रत रख रहे हैं और कभी बुखार तक नहीं आया। उन्होंने तीखा तंज कसते हुए कहा — “जो गलत होंगे, उन्हें बुखार आ रहा है। मैं तो और प्रचंड हो रहा हूं।” उन्होंने साफ कहा कि उनके पास बहुत मैटीरियल पड़ा है और अगर कभी मुंह खोला तो कई राज सामने आ जाएंगे।
धवाला ने अपनी राजनीतिक यात्रा का जिक्र करते हुए कहा — “मैंने करोड़ों रुपए को ठोकर मारकर बीजेपी को समर्थन दिया है। मारें भी खाई हैं, गाड़ी भी तुड़वाई है, दुख तो होता ही है।” उन्होंने हाल ही में हुए देहरा उपचुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि बीजेपी को नुकसान हुआ और इसका कारण पार्टी में चल रही गुटबाजी है।
कार्यक्रम में न आने वाले नेताओं पर भी धवाला ने तंज कसा। उन्होंने कहा — “जो नहीं आए, उन्हें शर्म आ रही होगी। जो आए हैं, वो मुझे नहीं, मेरी ईमानदारी को देखकर आए हैं।”
धवाला के इस धार्मिक आयोजन ने राजनीतिक हलचल को एक नया मोड़ दे दिया है। हिमाचल की राजनीति में एक बार फिर असंतुष्ट नेताओं की एकजुटता संगठन के भीतर चुनौती खड़ी कर सकती है।