सामाजिक-आर्थिक विकास में महिलाओं की अह्म भूमिका है। कोई भी समाज तब तक उन्नति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता जब तक महिलाओं को बराबर का अवसर प्रदान नहीं किया जाता। यह बात वन, परिवहन और युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने रविवार को राजकीय डिग्री महाविद्यालय कुल्लू के सभागार में आयोजित जिला स्तरीय अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जिलाभर से आई महिलाओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने इस अवसर पर सभी महिलाओं को बधाई और शुभकामनाएं दी।
गोविंद ठाकुर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल से ही नारी को देवी की संज्ञा दी गई है। देवों से पहले देवी का नाम लिया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। उन्होंने कहा आर्यकाल में भारतवर्ष में महिलाओं की स्थिति बहुत सम्मानजनक थी। मध्यकाल में महिलाओं की स्थिति दयनीय हो गई जिसे ठीक करने में सैंकड़ों साल लग गए और आज आधुनिक काल में हमारे देश में महिलाओं ने अनेक संघर्षा के उपरांत अपने अधिकार प्राप्त करके अपनी स्थिति में आशातीत बदलाव लाया है। महिलाओं को ईश्वर ने साहस, धैर्य और परित्याग जैसे विलक्षण गुण प्रदान किए हैं। महिलाएं कोई भी कार्य पूरे मन के साथ करती है। अनेक बाधाओं का सामना करते हुए महिलाओं में आगे बढ़ने का अद्भुत हुनर है।
वन मंत्री ने कहा कि समाज की सोच में भी महिलाओं के प्रति बदलाव आ रहा है। महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए समान अवसर प्रदान किए गए हैं जिसके चलते महिलाएं अनेक क्षेत्रों में पुरूषों का न केवल मुकावला करने में समर्थ बनी है, बल्कि आगे निकल गई हैं। समाज का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई हो। जमीं से लेकर आसमान तक ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी परचम लहरा चुकी हैं। सेना में महिलाओं की जबरदस्त एन्ट्री हुई है और देश की रक्षा करने में पुरूषों से पीछे नहीं हैं। सरकार ने भी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कुछ विशेष अधिकार प्रदान किए हैं जिनमें गोपनीयता का अधिकार, निःशुल्क कानूनी सहायता, देर से शिकायत दर्ज करने का अधिकारी, सुरक्षित कर्म स्थल, जीरो एफआईआर, घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार, इंटरनेट पर सुरक्षा का अधिकारी, समान वेतन तथा कन्या भू्रण हत्या के खिलाफ अधिकार शामिल हैं।
गोविंद ठाकुर ने कहा कि महिला दो घरों को सवारती है। यौवनकाल तक मां-बाप के आंगन द्वार की शोभा होती है तो शादी के बाद अपने ससुराल में सभी से रिश्ता जोड़ते हुए उस घर परिवार का पोषण करती है, उसे आगे बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में एकल परिवार की जो परम्परा स्थापित हो रही है, वह किसी भी समाज के लिए अच्छी नहीं है। सयुंक्त परिवारों में बच्चों का लालन-पालन उनमें अनेक प्रकार के संस्कार डालने में सहायक होता है। एकल परिवार में बच्चे को मां-बाप का भी सानिध्य प्राप्त नहीं हो पाता। हर कोई अपने-आप को अकेला महसूस करता है। उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि संयुक्त परिवार की परम्परा को आगे बढ़ाने में अपना पूरा योगदान दें।
वन मंत्री ने इस अवसर पर पोषण अभियान की शपथ भी दिलाई
घर-घर पहुंचाए ‘संवेदना’ संदेश: ऋचा वर्मा
उपायुक्त डॉ ऋचा वर्मा ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए महिलाओं को महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘संवेदना’ का संदेश जिला में घर-घर तक पहुंचाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि माहवारी महिलाओं के लिए एक नियमित प्रक्रिया है और इस पर गर्व किया जाना चाहिए। माहवारी के दौरान स्वच्छता सबसे बड़ा मुद्दा रहता है ताकि महिला अपने शरीर को अनेक प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रख सके। उन्होंने महिलाओं से केवल सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करने को कहा और इसका उपयुक्त निदान करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि स्कूलों में किशोरियों को सिनेटरी पैड निशुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं और इनके निदान के लिए इन्सीनिरेटर स्थापित किए जा रहे हैं।
उपायुक्त ने कहा कि संवेदना को हर घर तक पहुंचाने के लिए अनेक शिविरों का आयोजन किया गया है और भविष्य में अलग-अलग गांवों में इस प्रकार के शिविर लगाए जाएंगे जिनमें डाक्टरों की टीम को ले जाकर महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ सफाई न रखने से होने वाली बीमारियों से बचने के बारे में जानकारी दी जाती है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता न रखने से गर्भाश्य में कैंसर जैसे जानलेवा रोग हो जाते हैं।
शिविरों के दौरान महिलाओं में इस प्रकार के रोगों की जांच भी मुफ्त में की जाती है। उन्होंने कुल्लू जिला की महिलाओं की प्रसंशा करते हुए कहा कि यहां की महिलाओं में जबरदस्त समर्पण की भावना है। कोई भी सर्वहित के कार्यों को करने के लिए महिलाएं हमेशा आगे रहती हैं। जिले की आर्थिकी को बढ़ाने में महिलाओं का बड़ा योगदान है। यहां महिलाएं दिन-रात मेहनत करती हैं और मेलों व त्यौहारों में खूब मौज मस्ती भी करती हैं। यही विशेषताएं इन्हें अन्य क्षेत्रों की महिलाओं से अलग बनाती हैं।