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मां कालरात्रि की आराधना से मिटेगा हर भय, जानें सप्तमी पूजन का शुभ योग

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● चैत्र नवरात्रि का छठा दिन, मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व
● शुक्रवार व्रत, मां लक्ष्मी को अर्पित करें मखाने की खीर व पीली कौड़ियां
● शोभन योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, विजय व अभिजीत मुहूर्त आज विशेष फलदायी



आज 4 अप्रैल 2025 को चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है और सप्तमी तिथि में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की विधिवत पूजा की जाती है। मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है, किंतु वे अपने भक्तों को भय, शत्रु बाधा, अनहोनी और अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाती हैं। मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए “क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:” मंत्र का जाप करें, लाल गुड़हल या गुलाब के फूल अर्पित करें और गुड़ का भोग लगाएं। उनके वाहन गर्दभ हैं और वे चार भुजाओं में वज्र व कटार धारण करती हैं।

पंचांग के अनुसार आज चैत्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि रात 08:12 बजे तक रहेगी, इसके पश्चात अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। आज आर्द्रा नक्षत्र और शोभन योग है, जो रात 09:45 बजे तक प्रभावी रहेगा। चंद्रमा मिथुन राशि में स्थित है। गर करण प्रातः 08:51 बजे तक रहेगा, इसके बाद वणिज और फिर विष्टि करण प्रभावी होगा। दिशाशूल पश्चिम दिशा में है, अतः इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।

आज शुक्रवार का व्रत भी है, जो मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। मां लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में करें और उन्हें मखाने की खीर, दूध से बनी मिठाई और पीली कौड़ियां अर्पित करें। मान्यता है कि इससे दरिद्रता समाप्त होती है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। पूजा के अंत में देवी की आरती न करें, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आरती के बाद देवी उस स्थान से प्रस्थान कर जाती हैं।

आज के शुभ मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:36 से 05:22 बजे तक, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:59 से 12:49 बजे तक और विजय मुहूर्त दोपहर 02:30 से 03:20 बजे तक है। वहीं, दिन का सबसे उत्तम चौघड़िया मुहूर्त सुबह 09:16 से 10:50 और दोपहर 12:24 से 01:58 बजे तक रहेगा।

राहुकाल सुबह 10:50 से दोपहर 12:24 बजे तक रहेगा, जिसमें कोई भी शुभ कार्य वर्जित है। चंद्रमा का उदय सुबह 10:37 बजे और चंद्रास्त 01:30 बजे रात को होगा। भद्रा काल रात 08:12 से अगले दिन सुबह 06:07 तक रहेगा, परंतु इसका वास स्वर्ग लोक में होने के कारण इसका अशुभ प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होगा। आज के दिन शिव का वास भोजन में है, जो रात्रि 08:12 तक है, इसके बाद श्मशान में माना गया है।