<p>हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में सेब की पैदावार के बाद अब हिमाचल प्रदेश के मध्यम इलाकों में टमाटर का कारोबार शुरू हो चुका है। टमाटर को हिमाचल का लाल सोना भी कहा जाता है लेकिन टमाटर उगाने वाले किसानों का कहना है कि उनकी दीपावली इस बार भी फीकी रहेगी क्योंकि इस बार बरसात की वजह से टमाटर की फसल का काफी नुकसान हुआ है।</p>
<p>हालांकि, टमाटर की फसल किसानों की केश क्रॉप के रूप में जानी जाती है और लाल सोने का यह कारोबार किसानों के लिए काफी सालों से काफी फायदेमंद हो रहा था। लेकिन कुछ सालों से बरसात की वजह से इस फसल पर काफी मार पड़ी है। जिला बिलासपुर के गम्भर पुल के आस पास कई गावं के किसान टमाटर और अदरक की फसल करते हैं।</p>
<p>किसानों का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहते हैं लेकिन यहां तो किसानों का खर्चा ही पूरा नहीं होता, तो आय दुगनी होना तो बहुत दूर की बात है। किसानों ने सरकार से मांग की है कि जैसे ऊपरी क्षेत्रों में सेब की फसल का मुआवजा किसानों को दिया जाता है वैसे उन्हें भी खराब फसल का मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह है कि जिन क्षेत्रों में टमाटर की पैदावार होती है बरसात के कारण ग्रामीण सड़कें टूट चुकी हैं और किसानों को माल मंडियों तक पहुंचाने में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। किसानों ने केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग की है कि कम से कम सड़कों की हालत ठीक की जाए ताकि किसानों की फसल की पैदावार मंडियों तक समय पर पहुंच सके।</p>
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