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हिमाचली टैंलेट का विश्व में डंका, यह पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय बने डॉ. पॉल

समाचार फर्स्ट डेस्क |

विश्व स्तर पर एक बार फिर हिमाचल के एक सपूत ने भारत का मान-सम्मान बढ़ाया है। नीति आयोग के सदस्य और हिमाचल के कांगड़ा से संबंध रखने वाले डॉक्टर विनोद पॉल की वजह से आज भारत का सिर विश्व भर में ऊंचा हुआ है। डॉक्टर पॉल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रतिष्ठित 'एहसान डोगरामासी फैमली हेल्थ फाउंडेशन' से सम्मानित करने की घोषणा की है। डॉक्टर विनोद पॉल पहले ऐसे भारतीय होंगे जिन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है।

नीति आयोग की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक पेशे से डॉक्टर विनोद पॉल को यह पुरस्कार परिवार स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। WHO के कार्यकारी बोर्ड ने 27 जनवरी को यह पुरस्कार देने की पुष्टि की थी।

डॉक्टर पॉल को यह पुरस्कार औपचारिक रूप से मई 2018 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में दिया जाएगा। इस पुरस्कार के लिए वैश्विक स्तर पर कंप्टिशन आसान नहीं था। डॉक्टर पॉल को अल्जीरिया, चीन, मलेशिया, मेक्सिको, रूस और उज्बेकिस्तान के छांटे गए 6 उम्मीदवारों में से चुना गया। बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनका योगदान को वैश्विक स्तर पर काफी सराहा गया है।

डॉक्टर विनोद पॉल की शख्सियत 

डॉक्टर विनोद पॉल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से संबंध रखते हैं। शुरुआती शिक्षा उन्होंने हिमाचल में ही ली। बाद में उन्होंने देश के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान 'एम्स' दिल्ली से अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। काफी अर्से तक रिसर्च और मेडिकल सेवा के दौरान डॉक्टर पॉल ने कई उपलब्धियां हासिल की, जिससे देश के साथ-साथ हिमाचल का नाम भी वक्त-दर-वक्त दुनिया के फलक पर उभरता रहा। उनकी कर्मठता का ही नताजा था कि उन्हें एम्स में शिशु रोग विभाग के प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई। 

शिशु रोग विशेज्ञ होने के अलावा उन्होंने इस क्षेत्र में कई बेहतरीन काम किए। उनके काम को देखते हुए ही भारत सरकार ने उन्हें नीति आयोग के सदस्य की जिम्मेदारी सौंपी।