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1.40 करोड़ खर्च होंगे हैण्डलूम क्रॉफ्ट विलेज शरण के सौंदर्यीकरण पर: डॉ ऋचा वर्मा

<p>भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर मनाली के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नग्गर के अंतर्गत शरण गांव को हैण्डलूम क्रॉफ्ट विलेज में शामिल किया गया। इस अवसर पर पतली कूहल स्थित तिब्तियन स्कूल के सभागार में समारोह का आयोजन किया गया।</p>

<p>डॉ ऋचा वर्मा ने कहा कि कुल्लू जिला के लिये ये गौरव की बात है कि यहां के शरण गांव को क्रॉफ्ट हैण्डलूम विलेज के तौर पर विकसित करने के लिए देश के तीन गांवों में चुना गया है। इस गांव में मूलभूत सुविधाओं के सृजन और सौंदर्यीकरण पर लगभग 1.40 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। गांव में भव्य हैण्डलूम सुविधा केन्द्र का निर्माण किया जाएगा।&nbsp;</p>

<p>इसमें तैयार किए गए उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। बुनकरों के लिए प्रशिक्षपण केन्द्र का निर्माण किया जाएगा और सैलानियों को स्वयं बुनाई करने के अनुभव की सुविधा प्रदान की जाएगी। शरण अपने आप में एक ऐतिहासिक गांव है और क्राफ्ट हैण्डलूम विलेज के तौर पर विकसित होने पर इस क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त होगी जिससे यहां पर्यटन गतिविधियां बढ़ेंगी साथ ही लोगों की आर्थिकी को संबल मिलेगा।</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(6573).jpeg” style=”height:100px; width:802px” /><br />
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उपायुक्त ने कहा कि शरण गांव के लोग प्राचीन समय से खड्डी पर बुनाई का काम करते आए हैं। सर्दी ज्यादा होने के कारण अपने पूरे परिवार को घरों में ही ऊनी वस्त्र तैयार किए जाते हैं। ऊन का उत्पादन भी लोग स्थानीय तौर पर ही कर रहे हैं। गांव के सौंदर्यीकरण और मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक व्यापक खाका तैयार किया गया है जिसपर काम भी शुरू हो चुका है। निश्चित तौर पर यह गांव निकट भविष्य में सैलानियों के लिए पंसदीदा स्थल के तौर पर उभरेगा।</p>

<p>उपायुक्त ने कहा कि कोविड-19 के संकट के चलते इस साल पर्यटन काफी प्रभावित हुआ है, लेकिन सैलानियों को आने की अनुमति दी जा रही है। लोगों की आर्थिक स्थिति बागवानी पर निर्भर है। इसका विशेष ख्याल रखा गया है। कोविड-19 के संकट के चलते इस साल पर्यटन काफी प्रभावित हुआ है, लेकिन सैलानियों को आने की अनुमति दी जा रही है। लोगों की आर्थिक स्थिति बागवानी पर निर्भर है। इसका विशेष ख्याल रखा गया है। स्थानीय निवासी दीपा का कहना है कि बहुत से गांव है जिला में जहां महिलाएं अपने घरों में पारम्पारिक खड्डियों में बुनाई का काम करती है और सर्दी ज्यादा होने के कारण पूरे परिवार के लिए गर्म कपड़ों की स्वयं व्यवस्था करती हैं।</p>

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