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कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां हटाने से घर बैठने को मजबूर हुए चालक

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कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां हटाने से घर बैठने को मजबूर हुए चालक, नगर निगम से लगाई काम उपलब्ध करवाने की गुहार

मंडी नगर निगम ने अपने सभी 15 वार्डों के लिए नई गाड़ियां जो उपर से कवर वाली हैं तथा जिसमें सूखा व गीला कूड़ा अलग अलग से डालने का प्रावधान है, खरीद कर उनके माध्यम से कूड़ा उठाना शुरू कर दिया है। इससे पहले से कूड़ा उठाने में लगी गाड़ियों वाले चालकों व मालिकों को एकदम से निकाल देने के चलते वह घर बैठने को मजबूर हो गए हैं।

इन गाड़ियों के चालकों मेघ चंद, किशोरी लाल, पवन, मिंटू व हैप्पी आदि ने बताया कि उनकी गाड़ियां सीधे नगर निगम के माध्यम से कूड़ा उठा रही थी और इसके लिए महीने का किराया भी बहुत कम था जबकि अब जो नई गाड़ियां चलाई जा रही हैं उन्हें ठेकेदार के माध्यम से चलाया जा रहा है जो कई गुणा ज्यादा पैसा वसूल रहा है।

इससे नगर निगम को ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है तो उपर से पहले से काम कर रहे सभी गाड़ी चालक व मालिक जो अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं बेरोजगार हो गए हैं। उनके पास अब कोई काम नहीं है। उनका जातिगत आधार पर शोषण किया जा रहा है।

इन चालकों ने यह भी हैरानी जताई कि नगर निगम के पार्षद हरदीप सिंह राजा का ब्यान है कि ये नई गाड़ियां सही नहीं हैं। इनमें कूड़ा भी कम आता है और पैसा भी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। ब्यान के अनुसार पहले काम कर रही गाड़ियों के मालिकों को 32500 रूपए महीने का दिया जा रहा था मगर मौके पर तो यह 28650 रूपए ही मिल रहा था। यदि ऐसा हो तो चार हजार रूपए प्रति गाड़ी प्रति महीना पैसा कहां जा रहा था। इसकी जांच होनी चाहिए।

यह भी बताया गया कि नई गाड़ियों का मासिक किराया 57 हजार रूपए बताया जा रहा है जो अत्याधिक है। चुनावी आचार संहिता में यह सब कुछ किया जा रहा है। इस सबकी जांच होनी चाहिए तथा निकाले गए गाड़ी चालकों को निगम में काम दिया जाना चाहिए। यदि ऐसा न किया गया तो वह आंदोलन के रास्ते पर आ जाएंगे और इसकी जिम्मेवारी पूरी तरह से नगर निगम प्रबंधन की होगी।