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कैदी के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना न्यायपालिका का कर्तव्य- CJ सूर्यकान्त

पी. चंद, शिमला |

मानवाधिकार दिवस पर शिमला के कंडा जेल में कैदियों के अधिकारों के विषय पर न्यायिक सेवा प्राधिकरण शिमला द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने मुख्य रूप से शिरकत की औऱ कैदियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया। इस दौरान शिमला हाई कोर्ट के कई अन्य न्यायाधीश कार्यक्रम में मौजूद रहे।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा है कि कैदियों के मौलिक अधिकार की रक्षा करना न्यायालयों का दायित्व है और कैदी भी समाज का अभिन्न हिस्सा है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि कैदियों के मानव अधिकारों को सुनिश्चित करना न्यायपालिका की जिम्मेवारी है। साथ ही जेल से सजा पूरी होने पर कैदियों को उनके घर भेजना भी न्यायपालिका की जिम्मेवारी है।

चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है कि कैदी पर दोषी होने का टैग तब तक ही होना चाहिए जब तक वह जेल में हैं। जिस दिन कैदी सजा पूरी होने के बाद बाहर जाते हैं उस समय यह टैग भी खत्म हो जाना चाहिए। समाज यदि किसी कैदी को स्वीकार नहीं करता तो बेहद चिंता जनक है।जेल से बाहर आने के बाद कैदी को समाज में वही सम्मान मिलना चाहिए जो औरों को मिलता है।