भारत निर्वाचन आयोग को और स्वतंत्रता देने और इसकी निष्पक्षता को लेकर सवाल उठे हैं। सोशल वेलफैयर काउंसिल आफ इंडिया (ICSW) के अध्यक्ष राजेश्वर सिंह नेगी ने आज इसको लेकर सवाल उठाए हैं। नेगी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और जल्द ही वे सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर करने वाले हैं। याचिका में कहा गया है कि आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों की तैनाती एक कमेटी के माध्यम से हो और आयोग में रहकर उन पर सवाल उठने के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज कि तर्ज पर हटाया जाए।
नेगी ने कहा कि आज जिस तरह से निर्वाचन आयोग गतिविधियां चल रही हैं उससे इसकी निष्पक्षता पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है। एक तरफ तो लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करने की बात की जा रही है, वहीं उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव सात चरणों में करवाए जाते हैं। यही नहीं, हिमाचल और गुजरात की विधानसभा की टर्म एक साथ समाप्त होने के बाबजूद यहां चुनाव पहले करवाए जाते हैं और गुजरात में बाद में।
नेगी ने कहा कि पहाड़ी राज्य में जहां प्रचार के लिए घंटो पैदल जाना पड़ता है, वहां प्रचार के लिए कम समय मिलता है जबकि मैदानी इलाकों में आराम से प्रचार होता है, वहां ज्यादा समय मिल रहा है। इसके लिए जरूरी है कि आयोग में और सुधार कर लाए जायें और इसमें की जाने वाली तैनाती में और पारदर्शिता लाई जाए। इसके लिए जरूरी है कि आयोग में नियुक्ति एक कमेटी के माध्यम से हो और इसमें सभी सभी को विश्वास में लिया जाए, जैसे अन्य आटोनोमस संस्थाओं के मुखिया की तैनाती के लिए किए जाते हैं। उन्होंने नोटा को प्रभावी बनाने और आय के स्रोत को पारदर्शी बनाने की भी मांग उठाई है।